फ़िल्म गर्म हवा की नई आब-ओ-ताब के साथ IFFI में स्क्रीनिंग

नई दिल्ली, २० नवंबर (पीटीआई) 1973 में उर्दू। हिन्दी में बनाई गई फ़िल्म गर्म हवा ने पूरे मुल्क में धूम मचा दी थी। हिंद-ओ-पाक की तक़सीम के मौज़ू पर इससे बेहतर फ़िल्म आज तक नहीं बिन सकी जिस के डायरेक्टर एम एस सीथो थे। अब इस फ़िल्म की प्रिंट्स को नया रूप देते हुए उस की इंटरनैशनल फ़िल्म फेस्टीवल आफ़ इंडिया (IFFI) में नुमाइश की जाएगी।

याद रहे कि गर्म हवा की कहानी मशहूर उर्दू मुसन्निफ़ा मरहूमा इस्मत चुग़्ताई की एक ग़ैर मतबूआ कहानी पर मबनी थी जिसका स्क्रीन प्ले कैफ़ी आज़मी ने तहरीर किया था। फेस्टीवल के इलावा फ़िल्म को थियेटर्स में भी रीलीज़ किए जाने की तैयारीयां की जा रही हैं।

फ़िल्म में आँजहानी बलराज साहनी, गीता सिद्धार्थ, फ़ारूक़ शेख़, ए के हंगल और जलाल आग़ा ने अदाकारी के जौहर दिखाए थे जिन में से बलराज साहनी, ए के हंगल और जलाल आग़ा इंतिक़ाल कर चुके हैं। फ़िल्म में एक ऐसे मुस्लिम ख़ानदान की मुश्किलात को पेश किया गया है जो मुल्क की तक़सीम के बाद पस-ओ-पेश का शिकार है कि आया पाकिस्तान हिजरत की जाए या हिंदूस्तान में ही बूद-ओ-बाश इख़तियार की जाए।

1974 में इस फ़िल्म को ऑस्कर एवार्ड्स के लिए हिंदूस्तान की नुमाइंदगी के तौर पर पेश किया गया था। हिंदूस्तानी सिनेमा के 100 साल मुकम्मल करने पर इस फ़िल्म की 25 नवंबर को स्क्रीनिंग की जाएगी। फ़िल्म के प्रिंटस की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी लेकिन उसे नया रूप देने वाले मुंबई के एक एक डिस्ट्रीब्यूटर्स सुभाष छेडा हैं जो मुंबई में रुद्रा के नाम से एक डी वी डी लेबल के मालिक हैं।

इस तरह मिस्टर छेडा ने इसे Dolby में मुंतक़िल करने दो साल तक अनथक मेहनत की। उन्होंने कहा कि अवाम किसी भी क्लासिक फ़िल्म को बरसों तक याद रखते हैं। मुनाज़िर, डायलॉग्स वग़ैरा शायक़ीन को अज़बर होते हैं।