फ़िल्म बीनों का फिल्मों से जज़बाती रिश्ता अब नहीं रहा : दिलीप कुमार

शहनशाह जज़बात दिलीप कुमार ने कहा कि 50 की दहाई में फ़िल्म बीनों का फिल्मों से जो जज़बाती रिश्ता हुआ करता था वो अब देखने में नहीं आता। आज फ़िल्म बैन फ़िल्म देखने के बाद जब सिनेमा हाल से बाहर निकलते हैं तो उन्हें फ़िल्म की कहानी, मकालमे और मूसीक़ी के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता।

50 की दहाई में सिनेमा में तफरीह का वाहिद ज़रीया था और फ़िल्म बीनों के पास तफ़रीह के दीगर ज़राए नहीं थे इसलिए फ़िल्म बीनी को इंतिहाई संजीदगी से लिया जाता था। दिलीप कुमार चहारशंबा के रोज़ नसरीन मनी कबीर की मुरत्तिब कर्दा किताब डायलॉग्स आफ़ देवदास की रस्म इजराई अंजाम देने वाले थे, लेकिन अपनी ख़राबी सेहत की वजह से मौसूफ़ तक़रीब में शिरकत नहीं कर सके।

इस मौक़ा पर 2002 में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म देवदास में मर्कज़ी किरदार अदा करने वाले अदाकार शाहरुख ख़ान ने वहां मौजूद हाज़िरीन को दिलीप कुमार का मकतूब पढ़ कर सुनाया, जिसमें उन्होंने अदम शिरकत पर माज़रत ख़्वाही की थी। दिलीप कुमार से क़ब्ल देवदास का रोल अदा करने वाले के एल सहगल थे।

दिलीप कुमार के मकतूब में फ़िल्मी दुनिया के गुज़रे हुए ज़माने की मुख़्तसर तारीख़ मौजूद थी जो शाहरुख ख़ान पढ़ते जा रहे थे। दिलीप कुमार जिन्होंने गुज़श्ता साल दिसम्बर में अपनी 89 वीं सालगिरा मनाई। बिमल राय का ख़ुसूसी तौर पर ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देवदास और मधुमती के रोल ख़ुद उनको (दिलीप) ज़हन में रख कर तहरीर किए गए थे।

देवदास की रीलीज़ के बाद फ़िल्म शायक़ीन ने दिलीप कुमार के दुख को अपना दुख समझते हुए उन्हें ढेर सारे ख़ुतूत भी तहरीर किए थे। चूँकि किताब का मौज़ू देवदास है लिहाज़ा में एक बार फिर इन यादों में खो चुका हूँ जिन का ताल्लुक़ देवदास की तैयारी से है। सुचित्रा सेन और विजयंती माला ने भी फ़िल्म में चार चांद लगा दिए थे।

नौजवान फ़िल्म शायक़ीन सुचित्रा सेन का मुवाज़ना एश्वर्या राय से और विजयंती माला का मुवाज़ना माधूरी दीक्षित से करते हैं जो नामुनासिब है क्योंकि चारों ही अदाकारा अपने अपने दौर में उरूज पर थीं|