सदर नशीन प्रदेश कांग्रेस मीडीया कमेटी-ओ-साबिक़ रियास्ती मंत्री मुहम्मद अली शब्बीर ने कहा कि फ़ीस रीइम्ब्रेस्मेंट के मसला पर तलबा और उन के सरपरस्तों को हरगिज़ परेशान नहीं होना चाहीए, हुकूमत दो दिन में फ़ैसला करेगी।
तलबा पर कोई माली बोझ आइद नहीं होगा और ना ही उन्हें पढ़ाई के लिए बैंकों के क़र्ज़ पर इन्हिसार(डिपेंड) करना पड़ेगा। वुज़रा(मंत्रयों) की सब कमेटी अगर फ़ौरी वज़ाहत करदेती तो आज अवाम में जो बेचैनी है, वो फ़ौरन ख़त्म हो जाती।
सस्ती शोहरत हासिल करने के लिए चंद्रा बाबू नायडू ड्रामा बाज़ी कर रहे हैं। आज गांधी भवन में प्रैस कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए उन्हों ने ये बात बताई। इस मौक़ा पर कांग्रेस के तर्जुमान(प्रवक्ता) डाक्टर तुलसी रेड्डी, राधा कृष्णा और श्याम मोहन भी मौजूद थे।
मिस्टर मुहम्मद अली शब्बीर ने कहा कि वुज़रा(मंत्रयों) की सब कमेटी की जानिब से हुकूमत को रिपोर्ट पेश करने के बाद स्कीम से इस्तिफ़ादा करने वाले 24 लाख तलबा और उन के अरकान ख़ानदान हुकूमत के फ़ैसला के मुंतज़िर हैं।
सदर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दोनों वुज़रा(मंत्रयों) से दिल्ली से राबिता पैदा किया था, वो भी इस वक़्त उन के साथ दिल्ली में मौजूद थे। दोनों वुज़रा(मंत्रयों) ने सदर प्रदेश कांग्रेस को बताया कि तलबा की जानिब से दी गई इत्तिलाआत पर उन्हों ने रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया था, जिस की वज़ाहत करने से दोनों वुज़रा(मंत्रयों) ने इत्तिफ़ाक़ किया था।
अगर वुज़रा(मंत्रयों) की सब कमेटी फ़ौरी वज़ाहत करती तो अवाम की बेचैनी ख़त्म हो जाती, उन के ख़ामोश रहने से अवाम की बेचैनी में इज़ाफ़ा हुआ है। बर्क़ी(बिजली) बोहरान पर वजीर -ए-आज़म के फ़ैसला का ख़ैरमक़दम करते हुए इस फ़ैसला को आरिज़ी की बजाय मुस्तक़िल बनाने पर ज़ोर दिया।
उन्हों ने कहा कि कांग्रेस हुकूमत ने रियासत में बर्क़ी(बिजली) मौक़िफ़ को मुस्तहकम बनाने के लिए मुसिर इक़दामात किए हैं। जैनको की जानिब से 4000 मैगावाट बर्क़ी(बिजली) की पैदावार को यक़ीनी बनाया और मज़ीद 3000 मैगावाट बर्क़ी(बिजली) पैदावार के लिए ख़ानगी कंपनीयों को इजाज़त दी,
ताहम आराज़ीयात(जमीन) की हुसूली और दूसरी तकनीकी वजूहात के बाइस कामों के आग़ाज़ में ताख़ीर हुई है।