मुंबई, 13 फरवरी: ( एजेंसी) महाराष्ट्रा पुलिस ने रियासती हुकूमत को दाख़िल की गई एक रिपोर्ट में ये एतराफ़ किया है कि 6 जनवरी को धूलिया (Dhule) में रौनुमा हुए फ़िर्कावाराना फ़सादात के दौरान पुलिस की फायरिंग को यक़ीनन ज़्यादती कहा जा सकता है लेकिन ऐसा करना ज़रूरी था क्योंकि ज़रो तहाल बेक़ाबू हो चुकी थी।
ज़राए के मुताबिक़ रिपोर्ट एक हफ़्ता क़ब्ल दाख़िल की गई है जिसमें ये कहा गया है कि बाअज़ सीनीयर ओहदेदारान फ़सादात से मुतास्सिरा इलाक़ों के काफ़ी अंदर तक चले गए थे लिहाज़ा मुश्तइल हुजूम को मुंतशिर करने के लिए इन ओहदेदारान को फायरिंग करना पड़ा ।
याद रहे कि जुमा के रोज़ गुज़शता माह धूलिया में फ़िर्क़ावाराना फ़सादात के दौरान गुंडागर्दी में मुबय्यना तौर पर मुलव्वस पुलिस आफ़िसरान को गिरफ़्तार किया गया और बादअज़ां एक मुक़ामी अदालत ने उन्हें एक रोज़ की पुलिस तहवील में दे दिया ।
फ़सादाद के दौरान शूट की गई वीडीयो में मज़कूरा पुलिस अहलकारों को लूट मार और तशद्दुद बरपा करते हुए दिखाया गया था । धूलिया फ़सादात में छः अफ़राद हलाक और ज़ाइद अज़ 200 ज़ख़्मी हो गए थे ।
वीडीयो फूटेज में मुतज़क्किरा पुलिस अहलकारों के इलावा एक मुक़ामी सहाफ़ी और एक नामालूम शख़्स को भी दिखाया गया । धूलिया में रेस्टूरेंट का बिल अदा करने के मुआमला में छोटी से बहस बढ़ कर फ़िर्क़ावराना फ़साद का रूप इख़्तेयार कर गई थी ।