पुणे, 26 मई: पुणे की यरवदा जेल में सजा काट रहे अदाकार संजय दत्त को फिलहाल अलग बैरक में रखा गया है। यह वही जेल है जहां आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को रखा गया था।
जेल के आफीसर ने कहा,’ जेल के नियमों के मुताबिक अदाकार को क्या काम दिया जाए इस बारे में हम फैसला कर रहे हैं।’ फिलहाल सेक्युरिटी के वजह से उन्हें बैरक नंबर तीन में रखा गया है।
इसी बैरक की अलग कोठरी में दत्त के दोस्त और शरीक मुल्ज़िम यूसुफ नलवाला को भी रखा गया है। कैदी नंबर 16656 का बिल्ला लगाने वाले ‘मुन्नाभाई’ यरवदा जेल में तीसरी मर्तबा आए हैं। जेल के नियमों के मुताबिक उन्हें सुबह 7.30 पर नाश्ता, 11.30 पर दोपहर का खाना और शाम साढे़ छह बजे रात का खाना मिलता है।
ऐडिशनल डीजीपी [जेल] मीरन बोरवांकर ने कहा कि उनके काम के बारे में जल्द ही फैसला किया जाएगा। उनके साथ आम कैदी जैसा सुलूक किया जाएगा। उन्हें एक महीने तक वही सहूलत दी जाएंगी जिसकी मंजूरी अदालत ने दी है। अदालत ने उन्हें दवाइयां, घर का गद्दा, तकिया, हनुमान चालीसा, रामायण, भगवदगीता, टूथपेस्ट, शैम्पू, हवाई चप्पल, कुर्ता-पायजामा, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती और एक पंखा रखने की इज़ाज़त दी है। फिलहाल उन्हें घर का खाना एक माह तक ही मिलेगा। इसके बाद जेल इंताज़ामिया तय करेगा कि घर का खाना उन्हें दिया जाए या नहीं। आखिरी बार जब दत्त जेल में रहे थे तो उन्हें बेंत की कुर्सियों की बुनाई का काम दिया गया था।
दत्त ने इंसट्रक्टर (Instructor) की देखरेख में टोकरी भी बनाई थी, जिसके लिए उन्हें रोजाना 12.50 रुपये मेहनताना मिला था। वाजेह है कि 1993 के मुंबई बम धमाके मामले में आर्म्स एक्ट के तहत पांच साल कैद की सजा पाए दत्त डेढ़ साल जेल में गुजार चुके हैं। अब उन्हें साढ़े तीन साल कैद में रहना होगा।