फेसबुक पर इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी

क़ाहिरा 26 अक्टूबर (एजैंसीज़) (मिस्र के शहरी को 3 साल की सज़ाए क़ैद बामुशक़क़्त) मिस्र की अदालत ने फेसबुक पर इस्लाम की शान में तौहीन करने की पादाश में मिस्र के एक शहरी को 3 साल की क़ैद बामुशक़क़्त की सज़ा-ए-सुनाई है।

सरकारी मीना न्यूज़ एजैंसी ने ये इत्तिला दी। क़ाहिरा की अदालत ने एमन यूसुफ़ मंसूर को दानिस्ता तौर पर इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी करने का मुर्तक़िब पाया है और इस ने फेसबुक पर मज़हकाख़ेज़ अंदाज़ में इस्लाम की तशरीह की है।

अदालत ने ये भी कहा कि इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी का मक़सद क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती भी था जो असल इस्लाम की किताब है। इस शख़्स ने हुज़ूर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम और सहाबा पर भी तन्क़ीद की थी।

इस शख़्स ने इस्लाम की शान में किस नौईयत की गुस्ताख़ी की थी, ये तफ़सीलात नहीं बताई। मंसूर को पुलिस ने इंटरनैट एडरैस्स के ज़रीया इस का पता चला कर अगस्त में गिरफ़्तार किया था। मिस्र के क़ानून में मज़हब की तौहीन ममनू है।

माज़ी में शीया मुस्लमानों की जानिब से भी इस तरह की कोशिश की गई थी। न्यूज़ एजैंसी ने एमन यूसुफ़ मंसूर के अक़ाइद और मज़हब की निशानदेही नहीं की है अलबत्ता अदालत के हवाले से कहा गया कि मज़ाहिब के तमाम अरकान को मिस्र के क़वानीन और तमाम मज़ाहिब का एहतिराम करना ज़रूरी ही। 2007ए- में भी अदालत ने एक ब्लॉगर क्रीम अमीर को भी हुज़ूर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम की शान में गुस्ताख़ी करने पर जेल की सज़ा-ए-दी थी। मिस्र अरब मुल्कों का सब से मक़बूल आम मुलक है, जहां पर फ़्रांस का क़ानूनी निज़ाम चलता है, लेकिन मिस्र के दस्तूर पर अमल करते हुए क़वानीन बनाए गए हैं।