नई दिल्ली, 06 अप्रेल: शाही इमाम मस्जिद फ़तह पूरी दिल्ली मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद साहब ने आज जुमे की नमाज़ से पहले ख़िताब में मुसलमानों से इत्तिफ़ाक़-ओ-इत्तिहाद के साथ मसाइल को हल करने की तदाबीर इख़तियार करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हुक्म तो अल्लाह का ही होता है,लेकिन तदाबीर इख़तियार करना भी संत है। इस्लामी जमहूरिया ईरान के सफ़ीर कबीर ग़ुलाम रज़ा अंसारी ने फ़तह पूरी मस्जिद में जुमे की नमाज़ अदा की और नमाज़ से पहले शाही इमाम साहब से मुलाक़ात की और मुसलमानों से भी मुसाफ़ा किया।
शाही इमाम साहब ने मकराना शहर सूबा राजिस्थान से एक शरारती शख़्स की शर अंगेज़ी की शदीद मज़म्मत की जिस में इस ने मुस्लिम क़ौम की मज़हबी दिल आज़ारी की ख़ातिर पैग़म्बरे इस्लाम की ख़्याली तस्वीर और नाज़ेबा अलफ़ाज़ इस्तिमाल करते हुए उसे फेसबुक पर शाय किया। उन्होंने कहा कि चांद पर धूल फेंकने से चांद की रोशनी मद्धम नहीं होजाती बिलातशबीहा-ओ-तमसील जनाब रिसालत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अज़मत-ओ-रफ़अत पर ये नापाक हरकतें कुछ असरअंदाज़ नहीं हो सकतीं।
उन्होंने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम की तस्वीर कोई बना ही नहीं सकता और पिछले साढे़ चौदह सौ बरस में ऐसा किसी से ना होसका और ना क़यामत तक ये हो सकता है। उन्होंने वज़ीरे आज़म और हुकूमते हिन्द से पुरज़ोर मुतालिबा किया कि शरारती शख़्स के ख़िलाफ़ क़ानूनी सख़्त कार्रवाई की जाये और उसे किसी भी तरह की माफ़ी ना दी जाये। शाही इमाम ने कहा कि मुक़ामी पुलिस ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की तो मुसलमानों को ज़बरदस्त एहतिजाज करना पड़ा जिस पर पुलिस ने मुसलमानों पर तशद्दुद किया ये पुलिस की पुरानी हरकत है इस पर भी मौख़िज़ की ज़रूरत और क़सूरवार अफ़िसरों को मर्कज़ी हुकूमत और रियासती हुकूमत को सज़ा देनी चाहिए।