नई दिल्ली, 14 सितंबर: अदालत ने जैसे ही फांसी की सजा सुनाई, रविदास कैंप वाकेय् मुल्ज़िम विनय और पवन के घर से रोने और चीखने की आवाजें आने लगी। मुकेश के घर पर ताला लगा था। फैसला आने के बाद पवन की बहन व वालिदैन जोर-जोर से चीखने लगे। यही हाल विनय के घर का भी था। विनय का भाई और उसकी बहन दोनों मां के साथ रो रहे थे। सुबह से फैसले का इंतेजार कर रहे पवन के वालिद ने खाना नहीं खाया था। विनय की मां फैसला सुनने के बाद बेहोश हो गई।
पवन के वालिद ने कहा कि ‘मेरा बेटा बेगुनाह है। वाकिया वाले दिन वह दुकान पर था। वहीं से पुलिस उसे ले गई। हुकूमत के दबाव में यह फैसला आया है।’ मां का कहना था कि पवन को मीडिया ने फंसाया है। जानबूझकर उसकी तशवीर छापी, हमें बदनाम किया। हम अब बाहर भी अपना मुंह नहीं दिखा सकते। वहीं विनय की वालिदा ने कहा कि उनके बेटे को फंसाकर अब सबको इतमिनान हो गया।
फांसी की सजा मिलने के बाद चारों मुल्ज़िम जुमे के तीसरे पहर तिहाड़ जेल पहुंचे , उनकी आंखें खूब रोने की वजह से सूज गई थीं। फैसले की इत्तेला होने पर दूसरे कैदियों ने उनकी हूटिंग शुरू कर दी। चारों को उनके पुराने सेल में भेज दिया गया। सेल में उन्हें सजायाफ्ता कैदियों की सफेद ड्रेस दी गई।
इधर चारों को दूसरे जेल में ट्रांसफर को लेकर तिहाड़ जेल में बैठक का दौर चलता रहा।
इज्तिमायी इस्मतरेज़ी के मामले में पुलिस ने जिस तरह पेशेवर तरीके से जांच करते हुए सुबूत जुटाए, उससे साफ है कि यह केस अब मुस्तकबिल में पुलिस के लिए मील का पत्थर साबित होगा। फैसले के बाद ज्वाइंट कमिश्नर आफ पुलिस विवेक गोगिया ने कहा कि इस फैसले से ख्वातीन के सेक्युरिटी में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि डेंटल टेस्ट वगैरह कई तरह के टेस्ट पहली बार जांच में शामिल किए गए थे। यह मामला दिल्ली पुलिस के लिए एक चैप्टर है।
जांच की इस तर्ज़ को तरबियती प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा।
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