फौज की बहादुरी,मोदी को क्रेडिट

नई दिल्ली:(हिसाम सिद्दीकी) चार जून को मणिपुर में दहशतगर्दों के हमले में मारे गए डेढ़ दर्जन फौजियों की चिताओं की आग ठण्डी भी नहीं पड़ी थी कि आठ और नौ जून की रात में हिन्दुस्तानी फौज ने म्यांमार यानी बर्मा की सरहद में घुसकर तकरीबन सौ दहशतगर्दों को मौत के घाट उतार दिया। फौज की इस कार्रवाई ने पूरी हिन्दुस्तानी फौज का हौसला कई गुना बढ़ा दिया।

चार जून को मणिपुर में शहीद हुए फौजी जवानों के घर वालों के आंसू थमें, लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान ने अजीब व गरीब बयानबाजी शुरू कर दी। पाकिस्तान को यह खौफ सताने लगा कि कहीं पाकिस्तान में चल रहे हिन्दुस्तान मुखालिफ दहशतगर्दी के सेण्टर्स पर हिन्दुस्तानी फौज म्यामार जैसी कार्रवाई न कर दें। पाकिस्तान के होम मिनिस्टर निसार ने हिन्दुस्तान को वार्निंग देते हुए कहा कि हिन्दुस्तान हमें म्यामार न समझे और पाकिस्तान में म्यामार जैसी कार्रवाई करने का ख्याल भी दिल में न लाए।

पाकिस्तान के साबिक फौजी सदर परवेज मुशर्रफ ने बयान के जरिए आग में घी डालने का काम करते हुए यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान ने एटम बम शब बरात जैसे मौकों के लिए नहीं बनाए हैं। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के दरमियान चल रही जबानी जंग में उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान को दबाने की कोशिश न करे। पाकिस्तान ने चूडि़यां नहीं पहन रखी हैं, उनसे पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ राहिल शरीफ ने भी इसी किस्म का बयान दिया। सवाल यह है कि आखिर पाकिस्तान के होम मिनिस्टर, साबिक फौजी सदर और आर्मी चीफ को इस किस्म के बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी? अगरचे इस कार्रवाई के हिन्दुस्तानी दावे को दूसरे दिन म्यांमार सरकार ने गलत करार देते हुए कहा कि हिन्दुस्तानी फौजियों ने अपनी सरहद के अन्दर ही दहशतगर्दो पर कार्रवाई की है।

हकीकत यह है कि हिन्दुस्तानी फौजियों ने बर्मा की सरहद के अन्दर तकरीबन आठ किलोमीटर तक घुस कर दहशतगर्दों के खिलाफ कार्रवाई की थी। आठ और नौ जून की आद्दी रात के बाद फौज की इलाइट स्पेशल फोर्स के जवानों को एम.आई-17 हेलीकाप्टरों के जरिए बर्मा की सरहद पर उतारा गया। दहशतगर्दों के कैम्पों की सटीक रेकी पहले ही कराई जा चुकी थी।

इलाइट फोर्स के जवानों ने दहशतगर्दों के कैम्पों को घेर कर पहले उस पर बम मारा जैसे ही हथियारबंद दहशतगर्द कैम्पों से बाहर आए बाहर चैकन्ना खड़े हिन्दुस्तानी इलाइट फोर्स के जवानों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया, फिर उनके कैम्पों को आग लगा दी गई। इस कार्रवाई में तकरीबन पौन घंटे का वक्त लगा।

स्पेशल इलाइट फोर्स के जवानों ने इस कार्रवाई में इस्राइल में बनी एसाल्ट रायफलों और नाईट विजन डिवाइस (रात में देखने वाले आले) का भी इस्तेमाल किया। इस हमले के बाद तारीख में शायद पहली बार यह हुआ कि म्यांमार में दहशतगर्दों को मारने का एलान एक खातून फौजी अफसर मेजर रूचिका शर्मा ने मीडिया के सामने किया। एलान करते वक्त मेजर रूचिका शर्मा के हाव भाव साफ जाहिर कर रहे थे एक हिन्दुस्तानी फौजी अफसर की हैसियत से उन्हें इस कार्रवाई पर कितना फख्र है।

फौज ने पहले तो कहा कि इस कार्रवाई में 38 दहशतगर्द मारे गए लेकिन बाद में इस तादाद को सौ से ज्यादा बताया गया। फौज की इस कार्रवाई में एन.एस.सी.एन. के चीफ खाप्लांग के बच निकलने की खबर मिली है। उसी ने चार जून को मणिपुर में डेढ़ दर्जन हिन्दुस्तानी फौजियों को एक हमले में मारने का दावा किया था। उसने यह भी द्दमकी दी थी कि वह जल्दी ही दुबारा इसी किस्म का हमला करेगा। दूसरे मुल्क के अन्दर घुसकर दहशतगर्दों का सफाया करने की कार्रवाई के बाद बीजेपी लीडरान और फौज की नौकरी छोड़कर पहली बार मरकजी वजारत में शामिल हुए मिनिस्टर आॅफ स्टेट वर्द्धन राठौर ने ऐसी बयानबाजी शुरू कर दी जैसे नरेन्द्र मोदी ने खुद ही स्पेशल फोर्स के जवानों की कयादत करके दहशतगर्दों का सफाया किया हो।

राठौर ने तो मोदी के 56 इंच के सीने का भी बढ़ चढ़ कर बयान कर डाला, इस किस्म की बयानबाजी करने वाले लोग वह है जिन्हें मुल्क की फौज की बहादुरी के कारनामों का इल्म ही नहीं है। यह लोग मोदी से आगे कुछ देखना ही नहीं चाहते और फिर मीडिया के सामने झूट बोल कर अपनी राय पूरे मुल्क पर थोपने की कोशिशें भी करते हैं। 2006 में भी इसी तरह हिन्दुस्तानी फौज ने बर्मा को एतमाद (विश्वास) में लेकर बर्मा की सरहद में घुस कर दहशतगर्दों खुसूसन एन.एस.सी.एन. खापलांग गिरोह के खिलाफ कार्रवाई की थी।

2002 में भूटान में पनाह लिए नार्थ ईस्ट के दहशतगर्दों के सफाए के लिए हिन्दुस्तानी फौज ने भूटान में घुस कर आप्रेशन आल क्लीयर चलाया था। 1988 में बंगला देश की सरहद में जाकर हिन्दुस्तानी फौज ने बंगला दहशतगर्दों का सफाया किया था। उससे भी पहले 1971 में इंदिरा गांद्दी ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) में फौज उतार कर न सिर्फ 92 हजार पाकिस्तानियों को हिन्दुस्तानी फौज के सामने हथियार डालने पर मजबूर कर दिया था बल्कि दुनिया का जुगराफिया (भूगोल) तब्दील करके बांग्लादेश के नाम से एक नया मुल्क पैदा कर दिया था। हां उन तमाम कार्रवाइयों और मौजूदा कार्रवाई में इतना फर्क जरूर है कि यह कार्रवाई हमारे फौजियों पर हुए हमले के एक हफ्ते के अन्दर हो गई।

म्यांमार (बर्मा) के अन्दर घुसकर हिन्दुस्तानी फौज ने तकरीबन सौ हिन्दुस्तान मुखालिफ दहशतगर्दों का सफाया तो कर दिया, लेकिन खबरों के मुताबिक अभी भी वहां 61 कैम्पों के सैकड़ों दहशतगर्द बाकी है जिनमें एन.एस.सी.एन. का खापलांग भी शामिल है अब उन पर भी कार्रवाई जरूरी हो गई है वर्ना वह हिन्दुस्तानी फौजियों पर दुबारा हमला कर सकते हैं। 8-9 जून की रात में फौज की 21वीं पैरा के सत्तर (70) स्पेशल कमाण्डोज ने बर्मा में कार्रवाई को अंजाम दिया था वही कमाण्डो एक बार फिर वहां छिपे दहशतगर्दों पर हमला करने के लिए तैयार बताए जाते हैं। यह कार्रवाई महज पौन घंटे में मुकम्मल भी हो गई थी। पहले हमले में ही 38 दहशतगर्दों को मरते देखा गया था।

हिन्दुस्तानी फौज ने बर्मा के अन्दर घुस कर यह कार्रवाई की तो अब कई लोग यह कहने लगे कि अगर हमारी फौजे बर्मा में घुसक र दहशतगर्दों का सफाया कर सकती हैं तो फिर पाकिस्तान की सरहद में घुस कर वहां चल रहे दहशतगर्दी के कैम्पों को तबाह क्यों नहीं कर सकती है। वहां छुपे बैठे देश के दुश्मन नम्बर एक दाऊद इब्राहीम को भी इसी तरह मारा या पकड़ कर वापस लाया जाए। पाकिस्तान ने पहले से ही शोर मचाना शुरू कर दिया है। यह भी एक तल्ख हकीकत है कि बर्मा और बंगला देश की सरहद में घुस कर कार्रवाई करना जितना आसान है उतना आसान पाकिस्तान में घुसना नहीं है। बर्मा के दहशतगर्दों के कैम्पों की तरह पाकिस्तान में दाऊद इब्राहीम के ठिकाने की सटीक मालूमात भी किसी को नहीं है। अमरीकी नेवी सील्स ने रात में पाकिस्तान में घुस कर ओसामा बिन लादेन को सिर्फ इसलिए मार गिराया था कि अमरीका को पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने की सटीक मालूमात थी। वैसे भी हिन्दुस्तानी फौज पाकिस्तान के साथ ऐसा कुछ नहीं करने वाली है जिससे जंग के हालात पैदा हो जाएं और पड़ोसी से जंग करने का इल्जाम दुनिया भर में लग जाए।

हिन्दुस्तान और बर्मा की सरहद तकरीबन 1643 किलोमीटर लम्बी है। इस सरहद पर पाकिस्तानी सरहद की तरह कटीले तार की फेन्सिंग भी नहीं है। इसीलिए दहशतगर्दों को उद्दर से इद्दर आने में किसी किस्म की कोई परेशानी भी नहीं होती है। यह कार्रवाई करने से पहले सुषमा स्वराज की फारेन मिनिस्ट्री में तैनात फौजी अफसर कर्नल गौरव शर्मा और म्यामार में तैनात हिन्दुस्तान के सफीर (राजदूत) गौतम मुखोपाध्याय ने बर्मा सरकार के साथ लम्बी बातचीत करके पहले ही तय कर लिया था कि अगर इस किस्म की किसी कार्रवाई की जरूरत पड़ेगी तो बर्मा सरकार भी हिन्दुस्तानी फौजियों की मदद करेगी और बर्मा ने ऐसा ही किया भी। अगर बर्मा सरकार का तआवुन हासिल न होता तो इस किस्म की कार्रवाई का हो पाना काफी मुश्किल होता।

म्यामार में हुई भारतीय फौज की कार्रवाई पर पाकिस्तान का शोर कुछ चोर की दाढ़ी में तिनके जैसा है। बर्मा में दहशतगर्दों को मारने के बाद हिन्दुस्तान में किसी ने यह नहीं कहा था कि अब ऐसी ही कार्रवाई पाकिस्तान में भी हो सकती है, इसके बावजूद पाकिस्तान ने फौरन ही चीखना शुरू कर दिया।

इस चीख पुकार के जरिए पाकिस्तान ने खुद ही साबित कर दिया कि वहां हिन्दुस्तान मुखालिफ दहशतगर्दों के कैम्प है और दाऊद इब्राहीम भी पाकिस्तान में ही है। इधर हिन्दुस्तान में भी एक अजीब मुहिम चल पड़ी है वह यह कि म्यामार में कार्रवाई तो हिन्दुस्तान की बहादुर फौज ने की लेकिन वाहवाही वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी की हो रही है। उन्हें ही इस कार्रवाई का क्रेडिट देने की कोशिश की जा रही है।

म्यांमार में हुई फौजी कार्रवाई को बीजेपी लीडरान ने नरेन्द्र मोदी का बड़ा कारनामा बताया तो पाकिस्तान के साबिक फौजी सदर परवेज मुशर्रफ ने हिन्दुस्तान के खिलाफ जहर उगलते हुए धमकी दी कि हिन्दुस्तान पाकिस्तान को म्यांमार समझने की गलती न करे।

उन्होंने कहा कि न तो पाकिस्तान ने चूडि़यां पहन रखी हैं और न हम बर्मा हैं उन्होंने धमकाते हुए कहा कि अगर हिन्दुस्तानी फौजी पाकिस्तान की तरफ आएंगे तो हम उन्हें सबक सिखा देंगे, क्योंकि हम न सिर्फ उनकी कमजोरियों से वाकिफ है बल्कि उनसे फायदा उठाना भी जानते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें मजबूर न किया जाए वर्ना जंग का खतरा पैदा हो सकता है। हमें कमजोर समझने वाले समझ ले कि पाकिस्तान ने एटम बम शब बरात के लिए नहीं बनाय है। इस तरह परवेज मुशर्रफ सीधे सीधे भारत के खिलाफ जंग छेड़ने और एटम बम तक इस्तेमाल करने की धमकी दे दी। लेकिन आज की तारीख का एक सच यह भी है कि मुशर्रफ हो या राहील शरीफ हिन्दुस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने की हैसियत में कोई नहीं है, बल्कि मुशर्रफ की तो कोई हैसियत ही नहीं है। वह सिर्फ जबान चला सकते हैं इससे ज्यादा की उनकी कोई हैसियत नहीं है। लेकिन पाकिस्तान की बौखलाहट से अंदाजा होता है कि वहां से हिन्दुस्तान मुखालिफ सरगर्मियां जारी हैं।

-‍‍‍——————————बशुक्रिया: जदीद मरकज़