हैदराबाद 20 फ़रवरी (सियासत न्यूज़ ) मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद करने के नतीजे में अवाम को जिन महंगाइयों को सामना करना पड़ रहा है इस से हर कोई वाक़िफ़ है, ताहम फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट के नाम पर अवाम की जेब पर जो डाका डाला गया है इस से अवाम का जीना दूभर हो गया है और अवाम घरेलू बजट बुरी तरह मुतास्सिर हुआ है।
शहर के एक समाजी कारकुन सैयद हबीब के मुताबिक़, फ्यूल, कोयला और ग़ैस वगैरह में होने वाले इज़ाफ़ी अख़राजात को पुर करने के लिए हुकूमत ने किसी दीगर मुतबादिलात पर ग़ौर करने के बजाय ,पहले से महंगाई से परेशान अवाम पर इज़ाफ़ी बर्क़ी बोझ डाल दिया है,जिसके ज़रीए साल 2010 ही मालीयाती ख़सारे को पुर करने की कोशिश की गई जिसे अदालती अहकाम के बाद मौक़ूफ़ कर दिया गया था।
इत्तिला के मुताबिक़, सिर्फ़ अक्तूबर 1012 ता सितंबर 2014 बर्क़ी सारफ़ीन से जुमला आठ क़िस्तों में 6025 करोड़ की ख़तीर रक़म वसूल की जाएगी ,जो मौजूद माहाना बिल के इलावा होगा। इस रक़म से बर्क़ी कंपनियां पावर प्लांट के लिए कोयला और बर्क़ी खरीदी पर ख़र्च करेगी।
ताहम आम आदमी के लिए हुकूमत ये इक़दाम माली एतबार से इंतिहाई तकलीफ़दह साबित हो रहा है। मुक़ामी शहरी अबदुल्लाह ब्याबानी के मुताबिक़,महज़ 187 यूनिट के लिए उन्हें 1931 रुपये का बिल मौसूल हुआ जो असल बिल से तीन गुना ज़ाइद है, जब कि बर्क़ी खपत के हिसाब से सिर्फ़ 573 रुपये ही आना था,
ताहम बर्क़ी ओहदेदारों से वज़ाहत तलब करने पर पता चला कि इज़ाफ़ी रक़म यानी तेरा सौ रुपये फ्यूलचार्ज एडजस्टमेंट के तौर पर शामिल किए गए जो सारफ़ीन को हर हाल में अदा करना है।
ज़राए के मुताबिक़ , जून 2010 में जो बर्क़ी इस्तेमाल की गई है उस पर फ़ी यूनिट 0.15 पैसे और मई 2012से फ़ी यूनिट 1.32 रुपये वसूल किए जा रहे थे ,ताहम अदालती अहकाम के बाद मुताल्लिक़ा ओहदेदार अपने अमला को ये हिदायत जारी कर चुके हैं कि
वो अदालती अहकाम की रोशनी में सारफ़ीन से 2010 ता 2011 के पहले हिस्से का एफ एस ए चार्ज वसूल ना करें। ताहम अगर कोई सारिफ़ एफ एस ए चार्ज अदा कर दिए हों यह अदा कर रहे हों तो इस रक़म को माबाद साल के एफ एस ए में शामिल कर दिया जाएगा।