बंगलादेश: जंगी जराइम में मज़ीद दो अफ़राद को सज़ा-ए-मौत

बंगलादेश में क़ायम ख़ुसूसी ट्रिब्यूनल ने मज़ीद दो अफ़राद को 1971 की जंग में क़त्ल, अग़वा और दीगर जराइम के इल्ज़ाम में सज़ा-ए-मौत सुनाई है। मंगल को ढाका में पुर हुजूम अदालती कमरे में तीन जजों ने उबैदा लहक ताहिर और अता उर्रहमान नोनी को नसल कुशी और दीगर जराइम का मुर्तक़िब क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई।

दोनों मुजरिमों ने ख़ुद पर लगाए गए इल्ज़ामात को मुस्तरद किया। 2010 में वज़ीरे आज़म शेख़ हसीना वाजिद ने पाकिस्तान से अलाहिदगी के लिए 1971 में लड़ी गई जंग के दौरान मुख़्तलिफ़ जराइम की समाअत के लिए ख़ुसूसी ट्रिब्यूनल तशकील दिया था जो अब तक मुख़्तलिफ़ सियासी रहनुमाओं समेत 25 अफ़राद को सज़ा-ए-मौत सुना चुका है।

हुकूमत का मौक़िफ़ है कि पाकिस्तानी फ़ौजीयों ने मुबैयना तौर पर मुक़ामी सहूलत कारों के साथ मिलकर तक़रीबन तीस लाख लोगों को हलाक और दो लाख ख़वातीन को जिन्सी ज़्यादती का निशाना बनाया। पाकिस्तान इस दावे को मुस्तरद करता आया है।