बंगाली किसी बिहारी से कम नहीं : नीतीश कुमार

पटना : नीतीश कुमार ने आज कहा कि बिहार में सिर्फ मज़हबी नज़रिये से अक्लियत को चिह्नित नहीं किया गया है बल्कि ज़ुबान के नज़रिये से भी अक्लियत को हम अक्लियत मानते हैं. यहां बंगला नए साल के मौके पर बिहार बंगाली समिति के कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार में सिर्फ मज़हबी नज़रिये से अल्पसंख्यक को चिह्नित नहीं किया गया है बल्कि भाषायी दृष्टिकोण से भी अल्पसंख्यक को हम अल्पसंख्यक मानते हैं.

बिहार बंगाली समिति की मांग पर मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक विभाग में भाषायी अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सुनने तथा समाधान के लिये खुसूसी सेल खोलने की दरख्वास्त को कुबूल करते हुये इस संदर्भ में कार्रवाई करने की एलान की. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से आये शरणार्थी जिन्हें चम्पारण में बसाया गया है, उनके समस्याओं के समाधान के लिये 2009 से निरंतर कार्य किये जा रहे हैं.

बंगला शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग चार सौ बंगला शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी. उन्होंने कहा कि बंगला समृद्ध भाषा है और मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाई के लिये इन्तजाम किया जाना चाहिए, मैं इसके पक्ष में हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को पढ़ाई में प्रोत्साहित करने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाये गये हैं. प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास करने वाले अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में दस हजार रुपये दिया जाता है. यह योजना काफी सफल हुई है. मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढी है.

उन्होंने कहा कि भाषायी अल्पसंख्यक को भी इसमें शामिल होना चाहिए, अगर वे छूट गये हैं तो उन्हें जोड़ा जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की तरक्की में बंगला भाषियों-बिहारी बंगाली की बहुत बड़ी भूमिका है. नीतीश ने कहा कि 1912 से पहले बिहार एवं बंगाल एक ही प्रान्त था. 1912 में अलग होने के बाद भी बहुत बडी संख्या में बंगला भाषियों ने बिहार को ही अपना राज्य बनाया. आज उन्हें बंगला बोलने के कारण कोई बंगाली कह दे परन्तु वह किसी बिहारी से कम बिहारी नहीं है.