बक़रीद में जहां मुसलमान अल्लाह की राह में जानवरों को क़ुर्बान करते हुए अपना मज़हबी फ़रीज़ा अंजाम देते हैं वहीं जानवरों की खरीदारी करते हुए वो अपने गरीब गैर मुस्लिम आबनाए वतन बिलख़ुसूस किसानों की मदद करते हैं लेकिन शहर हैदराबाद में कुछ बरसों से एक नापाक मंसूबा और साज़िश के तहत अश्रार , माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं । शहर में जानवरों को लाए जाने से रोका जा रहा है और इस के लिए शरपसंदों ने अब एक नया तरीका अपना कर कुरैशी बिरादरी और ईद के ज़िमन में जानवरों का कारोबार करने वालों को ठगना शुरू कर दिया है ।
इन का तरीकेकार ये है कि दूर दराज़ के देहातों और मुक़ामात पर शहर से ताल्लुक़ रखने वाले ताजिरीन को जानवर खरीदने से नहीं रोका जाता बल्कि रक़म हासिल करने तक उन के साथ भरपूर तआवुन किया जाता है और जैसे ही जानवर गाड़ी में लोड किए जाते हैं । जानवर फ़रोख़्त करने वाला ख़ुद गाड़ी का नंबर जानवरों की तादाद और ख़रीदार के बारे में तमाम तफ़सीलात अश्रार को फ़राहम कर देता है । इस तरह शहर के करीब चेक पोस्टों पर बैठे या अतराफ़ और अकनाफ़ में छिपे हुए शरपसंद मतलूबा मुक़ाम पर गाड़ी के पहूँचते ही नारे लगाते हुए ड्राईवर और ख़रीदार पर हमला कर देते हैं ।
उन की रक़म और सेल फोन्स छीन लिए जाते हैं और जानवरों को अपने अड्डे तक पहुंचा देते हैं । ज़राए से इस बात का भी पता चला है कि शरपसंद जो सिर्फ़ और सिर्फ़ मज़हबी बुनियाद पर जानवरों को बचाने का दावा करते हैं वो इस ताजिर को ये जानवर फ़रोख़्त कर देते हैं जिस ने मुसलमान ताजिरीन को ये जानवर फ़रोख़्त किए थे । कल रात ढाई बजे भी इसी तरह का एक वाक़िया पेश आया जिस में ज़हीराबाद के करीब से लाए जा रहे 25 जानवरों को अश्रार ज़बरदस्ती छीन कर चले गए ।
बताया जाता है कि हल्क़ा असेंबली मलकपेट में वाक़े एक दीनी मदर्सा के लिए ये जानवर लाए जा रहे थे कि राजिंदर नगर के करीब ढाई बजे रात 20 – 25 नौजवानों ने गाड़ी रोकली और नारे लगाते हुए जानवरों को उतार लिया और उन्हें गोशाला भेज दिया । ऐसा लग रहा था कि उन लोगों को जानवरों को ले जा रही गाड़ी का नंबर मालूम हो चुका था और एक मंसूबाबंद अंदाज़ में ही उस गाड़ी को रोक कर जानवर उतार लिए गए ।
बहरहाल पुलिस को शहर और अतराफ़ और अकनाफ़ में शरपसंदों की सरगर्मियों पर नज़र रखनी होगी वर्ना वो माहौल को बिगाड़ कर अपने मुफ़ादात की तकमील कर सकते हैं । दूसरी अहम बात ये है कि क़ौमी शाहराहों पर जो चेक पोस्ट हैं वहां गाड़ियों के काग़ज़ात की तन्क़ीह करने के दौरान इस तरह की गाड़ियों के बारे में मुख़्बिरी की जाती है और ऐसा लगता है कि तमाम चेक पोस्टों पर अश्रार ने अपने मुख़्बिर तैनात कर दीए हैं।