मुरादाबाद। अगर मुसलमानों को शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करना है तो उनको अपना नेतृत्व उनके हाथों में सौंपना होगा जो न केवल आधुनिक शिक्षा वाले हों, बल्कि उनमें नेतृत्व और समाधान करने की क्षमता हो।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के अनुसार यह बात जस्टिस सोहेल एजाज सिद्दीकी ने आज यहां ‘अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के शिक्षा के विकास का जरिया’ विषय पर एक संगोष्ठी से ख़िताब करते हुए कही। उन्होंने कहा कि नेतृत्व केवल भाषणों से नहीं उभरती है बल्कि आंदोलनों से पैदा होती है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से इन आंदोलनों से जो लगातार जारी रहती हैं और मुसलमानों को अपने विकास के लिए लोकतांत्रिक आंदोलन का सहारा लेना होगा। क्योंकि बिना संघर्ष के कुछ हासिल नहीं होता। मैं फ़ेयर कॉलेज में फेडरेशन ऑफ सोशल जस्टिस के तहत आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मुसलमानों को नकारात्मक प्रतिक्रिया से बचने की सलाह देते हुए कहा कि आप के नकारात्मक प्रतिक्रिया से आपके विरोधियों में एकजुटता आती है और आपके लगातार नकारात्मक प्रतिक्रिया से उनको बल मिलता है तो मुसलमानों को बहुत बातों की अनदेखी करके इससे बचना चाहिए।
नेशनल कमीशन फॉर मानेटरी एजुकेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष श्री सिद्दीकी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस अवसर में दिल से नहीं बल्कि ठंडे दिमाग से काम लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चुनाव का समय है और मुस्लिम वोट को विभाजित करने के लिए कई राजनीतिक बाज़ीगर मैदान में हैं। उन्होंने मुसलमानों को सावधान रहने की सलाह देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य उनके वोट को नकारा बनाना है। उन्होंने कहा कि यह बात याद रखिए जब आपके वोट की अहमियत खत्म हो जाएगी तो आपकी पहचान भी खत्म हो जाएगी तथा साथ ही आपकी ‘शुद्धिकरण’ शुरू हो जाएगा। शैक्षिक पिछड़ेपन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सोलहवीं सदी के बाद मुस्लिमों में शिक्षा से घृणा पैदा होने लगी और धर्म को शिक्षा से निराश किया है। उन्होंने कहा कि उस समुदाय में गिरावट आ जाता है जिन में संस्था चलाने की क्षमता समाप्त हो जाती है।