मुसलमानों को भी बच्चे गोद लेने का हक के मुताल्लिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दारुल हुकूमत के कुछ मुस्लिम खानदानों में उम्मीद की रौशनी जगा दी है, जो अब तक औलाद की खुशहाली से महरूम हैं। जबकि एक ऐसा खानदान भी बच्चा गोद मिलने की ख्वाहिश पूरी होने की उम्मीद लगा रहा है जिसकी पहले ही एक औलाद है।
इन जोड़े ने बच्चा गोद लेने के लिए मातृछाया में पहले से रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। उन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही उनके आंगन में भी किलकारी गूंजेगी। कोर्ट के फैसले के बाद कुछ और जोड़े ने जुमेरात को मातृछाया और किलकारी कुंज Day nursery से राबिता कायम कर रजिस्ट्रेशन कराने की ख्वाहिश जताई।
अदालत ने बुध के रोज़ अपने फैसले में कहा था कि मुस्लिम जोड़े भी बच्चा गोद ले सकते हैं। रियासत में मातृछाया और किलकारी कुंज समेत 56 Day nursery और बालगृह हैं। अदालत के फैसले के बाद तीन मुस्लिम जोड़े ने शिशुगृह में बच्चा गोद लेने के अमल की मालूमात हासिल की। मातृछाया के इंचार्ज अनुराग पांडेय ने बताया कि उनके यहां पांच मुस्लिम जोड़े ने बच्चा गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। रोजनामा दैनिक भास्कर ने ऐसे ही कई बेऔलाद जोड़े से बातचीत की।
मातृछाया में बच्चा गोद लेने के लिए दरखास्त देने वाले एक जोड़े ऐसे हैं, जो खुद की औलाद होने के बावजूद दूसरा बच्चा गोद लेना चाहते हैं। अहमद कुरैशी (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्होंने मातृछाया में साल 2012 में रजिस्ट्रेशन कराया था। इत्तेफाक से बाद में उनकी बीवी ने एक बेटे को जन्म दिया। कुरैशी का कहना है कि इसके बावजूद वे बच्चा गोद लेना चाहते हैं। अदालत के हुक्म ने उनकी उम्मीद को फिर से जिंदा कर दिया है।
मो. शमीम का कहना है कि शादी के ५ साल बाद भी उनके यहां कोई औलाद नहीं हुई। बीवी की खाहिश थी कि बच्चा गोद लेंगे इसलिए दिसंबर २०१३ में मातृछाया में रजिस्ट्रेशन कराया। अदालत के फैसले से उम्मीद है कि बच्चा गोद लेने पर खानदान में कोई मुखालिफत नहीं करेगा।
किलकारी कुंज की मंजुल ने बताया कि उनके यहां कोहेफिजा की साकिन शबनम बानो रजिस्ट्रेशन कराने आई थी, लेकिन घरवालों की मुखालिफत की वजह से उन्हें फैसला बदलना पड़ा था। शबनम का कहना है कि अदालत के फैसले के बाद खानदान के लोग बच्चा गोद लेने को तैयार हैं।
अदालत के फैसले के बाद किलकारी कुंज में फोन करने वाली आरिफ नगर की साकिन नाजिया सिद्दीकी रजिस्ट्रेशन कराना चाहती हैं। नाजिया ने बताया कि उनकी कोई औलाद नहीं है। कई यतीमखानो में बच्चा गोद लेने की मालूमात हासिल की थी। सब जगह से एक ही जवाब मिलता था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बच्चा गोद लेने की इजाजत नहीं देता। अदालत का फैसला आने के बाद अब वे बच्चा जरूर गोद लेंगी।
————–बशुक्रिया: दैनिक भास्कर