इसे मुआज़िजा ही कहा जा सकता है कि कोई बच्चा बच्चा दानी के बदले, पेट में पले। ऐसा हुआ है सहरसा में। शहर के गायत्री नर्सिग होम में जुमेरात को एक मां ने अपने बच्चे को बच्चे दानी से नहीं, पेट से जन्म दिया। ऑपरेशन के बाद बच्चे का नव वलूद हुआ और मां-बच्चे दोनों खैरियत से हैं। डॉक्टर भी इस वाकिया को मुआजिज़ा ही मान रहे हैं।
बुध को हुई थीं एड्मिट
सुपौल जिले के राघोपुर ब्लॉक के डरहरिया की आशा देवी अपने बच्चे को जन्म देने के लिए इस नर्सिग होम में बुध को ही भरती हुई थी। नर्सिग होम के डॉक्टर डॉ रंजेश कुमार ने जब उस खातून का ऑपरेशन किया, तो डॉक्टर भी इस हैरतअंगेज वाकिया को देख हैरत अंगेज़ हो गये। खातून के ऑपरेशन के दौरान जब बच्चे को बाहर निकाला जा रहा था, तब डॉक्टर ने देखा कि बच्चा बच्चा दानी में नहीं, बल्कि खातून के पेट में पल रहा था। डॉक्टर ने खातून का कामयाब ऑपरेशन कर उनके पेट से बच्चे को सही सलामत निकाला।
पहली बार ऐसी हैरत अंगेज़ वाकिया की खबर फैलते ही भीड़ जुटने लगी। खातून के कामयाब ऑपरेशन के बाद खातून और नव वलूद खैरियत से हैं। इससे साबिक़ भी इसी खातून ने इसी नर्सिग होम में डेढ़ साल पहले ऑपरेशन के बाद एक बच्चे को जन्म दिया था और दूसरी बार ऑपरेशन के दौरान ऐसा नजारा सामने आया है।
जिस बच्चे को बच्चे दानी के अंदर पलना-बढ़ना चाहिए। वह बच्चे दानी के बाहर पला-बढ़ा। मेडिकल की दुनिया में इस वाकिया को हैरत अंगेज़ और मुआज़िजा के तौर में देखा जा रहा है।
डॉ रंजेश कुमार, डॉक्टर, सहरसा