बच्चे फितरतन बहुत शरारती और उछल कूद करने वाले होते हैं। उनका ज्यादा वक्त खेल कूद और मौज मस्ती में ही गुजरता है। ऐसे में उनके जिस्म से ज्यादा एनर्जी खर्च होती है। अगर इस उम्र में बच्चे जिस्मानी तौर पर सेहतमंद न हो और उन्हें पूरी मुतवाजिन डाइट न मिले तो वह मुख्तलिफ किस्म की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। बहुत से बच्चे खाने पीने के ममाले में बहुत जिद्दी होते हैं जो चीजे उनके वालदैन खिलाना चाहते हैं उनसे वह दूर भागते हैं। ऐसे में वह उन चीजों से महरूम रह जाते हैं जो उनके लिए जरूरी होती हैं और उनका जिस्मानी फरोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता।
नतीजतन वह जिस्मानी तौर पर कमजोर हो जाते हैं और कई बीमारियां उनको घेर लेती हैं। इस उम्र में बच्चों के खान-पान पर पूरा ध्यान देने की जरूरत होती है। इससे बच्चों का सही तरीके से जिस्मानी व जहनी फरोग हो सकता है। खान-पान के अलावा उन्हें वर्जिश की भी जरूरत होती है। अक्सर बच्चे तो खेल-कूद और भागदौड़ के जरिए इस वर्जिश को पूरा कर लेते हैं लेकिन बहुत से ऐसे घर भी हैं जहां बच्चों को खेलने-कूदने और मौज-मस्ती का पूरा वक्त नहीं मिल पाता है ऐसे में वह जिस्मानी वर्जिश से दूर ही रहते हैं।
अगर बच्चों में शुरू से ही खाने-पीने और वर्जिश के मामले में संजीदगी से काम लिया जाए तो यह आगे चलकर बच्चों के हक में सही साबित हो सकता है।
अगर आप ऐसे बच्चे के वालदैन हैं जो खाने पीने में जिद्दी और खेलकूद से दूर रहते है तो आप को ऐसे क्या इकदामात चाहिए ताकि आप का बच्चा जिस्मानी और जेहनी तौर पर फिट रहे और छोटी-मोटी बीमारियां उससे कोसों दूर रहें। वालदैन के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि उनका बच्चा जिस्मानी तौर पर फिट है या नहीं।
इसके लिए आप देखें कि अगर बच्चा छः से बारह साल का है तो वह सुस्त तो नहीं रहता, उसे भूलने की आदत तो नहीं, पढ़ने लिखने से वह दूर तो नहीं भागता और हमेशा परेशान तो नहीं। उसकी तालीमी कारकर्दगी खराब तो नहीं। अगर इन सवालों का जवाब हां में है तो समझ लें कि उसे मुतवाजिन गिजा पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है।
बचपन में मोटापा, वजन कम होना, एनीमिया यानी खून की कमी और दांतों से मुताल्लिक मसले पैदा होते हैं। कुछ बच्चों में अपनी उम्र के बच्चों या दीगर लोगों के साथ घुलने-मिलने में दिक्कत होती है। अक्सर बच्चे मोटापे का भी शिकार हो जाते हैं। आप बच्चे में खानपान से मुताल्लिक अच्छी आदतें डालकर उन्हें मोटापे से बचा सकती हैं। जैसे उन्हें शुगर वाली चीजों से दूर रखना और खाने में फाइबर वाली चीजें ज्यादा से ज्यादा शामिल करना।
आप अपने बच्चे को फल और हरी सब्जियों के तयीं बेदार करें। अगर पहले से ही आप का बच्चा मोटा है तो उसे खेलों व दीगर जिस्मानी सरगर्मियों में हिस्सा लेने के लिए कहें।
कुछ बच्चों का वजन जिस्म की लम्बाई के तनासुब में काफी कम होता है। कुछ बच्चों की आदत कम खाने की होती है। यह आदत वालदैन के लिए काफी परेशानी का बाइस बनती है। ऐसे मामले में सबसे पहले वालदैन को अपने बच्चे की पसंद मालूम करनी चाहिए। उन्हें प्यार से फुसलाकर आप अपनी पसंद की चीजें खिला सकती हैं।
अगर बच्चे का वजन कम है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसे शुगर वाली चीजें दें। दांतों में कीड़े लगना, मसूढ़े में सूजन जैसी परेशानियों से बच्चे को बचाने के लिए बच्चों में यह आदत डालें कि वह रात में भी सोने से पहले टूथब्रश करे साथ ही उन्हें शुगर वाली चीजें कम से कम खाने को दें।
अगर बच्चे के जिस्म में आयरन की कमी से खून में हीमोग्लोबिन का लेवल काफी कम है और इस कमी के चलते बच्चा बहुत जल्दी थक जाता है और हमेशा सुस्त रहता है तो इस कमी को दूर करने के लिए बच्चों को ही पत्तेदार सब्जियां दें। इसके अलावा ड्राई फ्रूट भी दे सकती हैं। इनमें आयरन काफी होता है। सुबह का नाश्ता बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी माना जाता है।
ज्यादातर बच्चे स्कूल जाते वक्त नाश्ता ठीक से नहीं कर पाते। बच्चों को मुतवाजिन और गिजाइयत से भरपूर नाश्ता दिन में तीन बार खाना और दो से तीन बार स्नैक्स जरूर देने चाहिए। स्नैक्स के तौर पर बच्चे को फल दे सकती हैं।