हैदराबाद 28 मार्च: तेलुगू देशम पार्टी के सदर एन चन्द्रबाबू नायडू ने मशरिक़ी गोदावरी में जारी अपनी वस्तवना मी कोसम पदयात्रा के मौके पर बच्चों से बातचीत की और उन की बातों, सवालात और जवाबात से हैरान रह गए।
नायडू ने एक मुक़ाम पर बच्चों को देख कर उन से बातचीत शुरू की लेकिन अपने सवालात पर उन के जवाबात ने उन्हें हैरत-ओ-ताज्जुब में डाल दिया।
उन्हों ने दरयाफ़त किया कि आप में से किस का ताल्लुक़ ज़रई ख़ानदानों से है, अक्सर ने हाथ उठाते हुए इस्बात में जवाब दिया। जब उन्हों ने पूछा कि आप में से कितने एसे हैं जो मुस्तक़बिल में ज़राअत का पेशा इख़तियार करना चाहते हैं तो किसी ने भी हाथ नहीं उठाया।
जब उन्हों ने पूछा कि वो क्या बनना चाहते हैं? अक्सर बच्चों ने डाक्टर, इंजिनियर वग़ैरा जैसे पेशे इख़तियार करने की ख़ाहिश का इज़हार किया। लेकिन किसी ने भी सयासी मैदान में दाख़िले की ख़ाहिश ज़ाहिर नहीं की।
जिस पर नायडू ने बच्चों से कहा कि सियासत में शमूलीयत से आप शर्मिंदगी क्यों महसूस करते हैं, सिर्फ़ चंद सयासी अफ़राद ही रिश्वतखोरी में मुलव्वस हुआ करते हैं। और इस मेदान में शमूलीयत के बाद दौलत बटोरते हैं लेकिन सब एसे नहीं होते। इन बच्चों में से एक ने नायडू से पूछा कि आप ने मुकम्मल नशा बंदी का वो क़ानून क्यों मंसूख़ कर दिया जो आप के पेशरू एन टी रामा राव ने नाफ़िज़ किया था? जिस पर तेलुगू देशम पार्टी सरबराह एक लम्हा के लिए हैरान रह गए, बाद में समझाया कि दुनिया के किसी भी ख़ित्ता में मुकम्मल नशा बंदी का नफ़ाज़ कभी भी कामयाब नहीं होसकता।
चुनांचे उन्हों ने इस से दसतबरदारी का फ़ैसला किया था। उस वक़्त शराब की फ़रोख़त पर हुकूमत को सिर्फ़ 3000करोड़ रुपये सालाना वसूल होते थे लेकिन मौजूदा हुकूमत उस को दौलत बटोरने की मशीन के तौर पर इस्तेमाल कररही है।