माली साल 2013-14 में सरकारी महकमा अपने बजट की 76 फीसद रकम ही खर्च कर पाये हैं। खर्च की माहाना तजवीज करें, तो सिर्फ मार्च में मंसूबा और गैरमंसूबा मद के 12207 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
बाक़ी 11 महीने में खर्च की रफ्तार धीमी रही है। महकमा खर्च की बात करें, तो तालीम, सड़क और तूअनाई शोबे ऐसे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा रकम खर्च हुई है, जबकि सबों को हेल्थ की सहूलत दस्तयाब करानेवाले हेल्थ महकमा ने अपने गैरमंसूबा मद में 80.88 फीसद और मंसूबा मद में 74.22 फीसद रकम ही खर्च पाया है। कुछ ऐसे भी महकमा हैं, जहां खर्च की रफ्तार काफी धीमी रही है। इनमें राजभवन, जानवरों की पालने और आइटी महकमा अहम हैं।
इसी तरह सड़क तामीर महममा की तरफ से गैर मंसूबा मद में 750.66 करोड़ के खिलाफ 838.99 करोड़ और मंसूबा मद में 4232.97 करोड़ के खिलाफ 4086.09 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सबसे कम खर्च करने वाले महकमा की चर्चा करें, तो गवर्नर हाउस सेक्रेट्रिएट को खर्च के लिए 7.87 करोड़ दिये गये थे, लेकिन उसने एक पैसा भी खर्च नहीं किया। इसी तरह आइटी महकमा की बात करें, तो इसे 25.30 करोड़ रुपये दिये गये थे, लेकिन खर्च हुए महज़ 1.27 करोड़। खाने पीने और सारफीन तहफ्फुज महकमा 1243 करोड़ में से 557.66 करोड़ और जानवरों और मछली वसायल 683.79 करोड़ में से 142.37 करोड़ ही खर्च कर पाया।