बजट के ‌21000 करोड़ नहीं हुए खर्च, एक दिन में निकला 2000 करोड़

माली साल 2014-15 के आखरी दिन 31 मार्च को रियासत भर में ट्रेजरी से करीब 2000 करोड़ की इंखिला की गई। वहीं इस माली साल के बजट से मंसूबा और गैर मंसूबा मद के तकरीबन 21000 करोड़ रुपए सरेंडर हो गए। इसमें 8000 करोड़ मंसूबा मद और 13000 करोड़ गैर मंसूबा मद की रकम शामिल है।
रियासत मंसूबा के 18,270 करोड़ में से करीब 5000 करोड़ रुपए ही खर्च होने की इत्तिला है। माली साल 2014-15 में तकरीबन 55000 हजार करोड़ का बजट था। इसमें से 34000 करोड़ रुपए ही खर्च होने की इत्तिला है। रांची समेत दीगर खज़ानों में भी दोपहर तक काफी भीड़ रही। हालांकि, सर्वर लाइन बार-बार डाउन होने की वजह से कामकाज मुतासीर हुआ। मंगल को रांची की तीनों ट्रेजरी से तकरीबन 900 करोड़ की इंखिला की गई।

रियासत मंसूबा व मरकज़ी मंसूबा मिलाकर टोटल 26,250 करोड़ का मंसूबा बजट था। इसमें से करीब 18000 हजार करोड़ ही खर्च हुए हैं। रियासत मंसूबा मद में करीब 13000 करोड़ और मरकज़ी मंसूबा मद में 5000 करोड़ खर्च होने की इब्तेदाई इत्तिला है।
खर्च हुई बजट रकम (34000 करोड़) में से करीब 5000 करोड़ सिविल डिपोजिट और पीएल खाते में जमा कराए गए हैं। सड़क तामीर और तूअनाई महकमा ने ही 2000 करोड़ से ज़्यादा पीएल खाते में जमा कराए हैं। कोई भी महकमा रियासत मंसूबा के तरक़्क़ी का पैसा 100 फीसद खर्च नहीं कर सका। 14 महकमा ही ऐसे रहे, जोे 60 फीसद से ज़्यादा रकम खर्च कर सके हैं।

रियासत की माली इंतेजामिया की एक बार फिर पोल खुल गई। गुजिशता साल रियासती हुकूमत ने असल बजट पेश करने का दावा किया था। असल बजट के बाद तकरीबन 4000 करोड़ का तीन सप्लिमेंट बजट एवान से पास हुआ।

करीब 55000 करोड़ के बजट में से 34000 करोड़ ही खर्च ही हुए। अगर फायनेंस इंतेजामिया मजबूत रहता और बजट असल होता तो खजाने में 21000 करोड़ से ज़्यादा की रकम बची रहती, लेकिन माली साल की खत्म के एक दिन पहले खजाने में 1300 करोड़ ही बचे थे। हुकूमत ने खर्च की हालत को देखते हुए 30 मार्च को 1400 करोड़ रुपए मरकज़ी हुकूमत से क़र्ज़ लिया। यह क़र्ज़ क़ौमी बचत के तौर में जमा रकम के खिलाफ ली गई है।