बजट सेशन और बाग़ी अरकान

रियास्ती असेंबली के बजट सेशन का आग़ाज़ हसब तवक़्क़ो तूफ़ानी तौर पर हुआ। हुक्मराँ पार्टी का रोल और गवर्नर ई एस एल नरसिम्हन का ख़ुतबा दरअसल हुकूमत की पालिसी के आईना में तैयार किया जाता है। इस पर अपोज़ीशन ख़ासकर टी आर एस ने ऐवान में किसी ख़ुशगवार लम्हा की फ़र्माइश नहीं की या ऐवान की कार्रवाई से वाबस्ता होकर अहवाल तेलंगाना को वाज़िह कर सके, अपोज़ीशन ने ख़ुतबा का बाईकॉट कर दिया।

बजट सेशन का पहला दिन रिवायती तौर पर होता है। असेंबली का इजलास दरअसल माज़ी की तस्वीर में हाल से मुंसलिक हालात के तनाज़ुर में मुनाक़िद होता है। रियासत के हाल पर ही मुस्तक़बिल की तैयारी करनी होती है इस सिलसिला में किरण कुमार रेड्डी ज़ेर क़ियादत कांग्रेस हुकूमत ने माज़ी, हाल के आईना में मुस्तक़बिल का बजट तैयार किया है तो इस में अवाम को किस हद तक फ़ायदा होगा ये बजट की पेशकशी पर मालूम होगा।

इस वक़्त हुक्मराँ पार्टी को ऐवान में अपने ही नाराज़ अरकान की सरगर्मीयों और उन की मुंह चढ़ाती मौजूदगी का सामना है। वाई एस आर कांग्रेस के हामी अरकान को कांग्रेस ने बाग़ी क़रार दिया है मगर उन के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई करने से गुरेज़ कर रही है इस की कई वजूहात हैं।

किरण कुमार रेड्डी जो अपने ही पार्टी अरकान की तेज़ निगाहों और बदगुमानियों का शिकार हैं वाई एस आर कांग्रेस के सदर जगन मोहन रेड्डी का राग अलापने वाले अरकान असेंबली की हट धर्मी का भी सामना कर रहे हैं। किरण कुमार रेड्डी उस वक़्त ऐवान में बजट सैशन के दौरान अपने मुक़ाम, अपनी साख अपनी दानिश और अपने उसूलों के मुक़ाम को कोई आंच आने नहीं देंगे क्योंकि उन की किसी भी किस्म की ग़ैर मुवाफ़िक़ हरकत उन्हीं को नए मलामत की तरफ़ ले जाएगी।

जहां बाग़ीयों के साथ अपने ही अरकान के एहतिजाज में शिद्दत पैदा होगी। गवर्नर ई एस एल नरसिम्हन ने अपने ख़ुतबा को किसी हद तक बजट के तवाज़ुन में पेश किया है तो ये बजट की चंद ख़राबियों को भी ज़ाहिर करता है। अपोज़ीशन को गवर्नर के ख़ुतबा या रियास्ती बजट में अवामी मुफ़ादात का हिस्सा तलाश करने की ज़रूरत है।

उन्हें अपने सयासी प्वाईंट स्कोरिंग बनाने की फ़िक्र से ज़्यादा अवाम की बेहतरी पर तवज्जा देनी है। तेलगगुदेशम ने शुरू से ये कहा है कि अवाम के हक़ में इस की जद्द-ओ-जहद अब अवाम के मुफ़ादात के तहफ़्फुज़ात के साथ मज़ीद तेज़ हो जाएगी। रियासत में ख़राबियों और बदउनवानीयों के इलावा एक्साइज़ महिकमा के ओहदेदारों के मामूल की वसूल शराब माफ़िया के गठजोड़ से पैदा होने वाली अबतर सूरत के साथ हुक्मराँ पार्टी में हर रोज़ बदलते सयासी हालात के नए रख लेने के इंतिज़ार में नहीं बैठा जा सकता इस लिए अपोज़ीशन के लिए रियास्ती असेंबली का बजट सेशन अहम है वो इस मौक़ा से इस्तिफ़ादा करते हुए अवाम के मसाइल की हिमायत में बजट का जायज़ा ले।

जहां तक ऐवान में नज़म-ओ-ज़बत की बरक़रारी का सवाल है इस पर ध्यान देना स्पीकर की ज़िम्मेदारी है। वो बाग़ी अरकान से किस तरह निमटते हैं और हुक्मराँ पार्टी के सरकारी बंचों पर बैठने वाले अरकान की मुख़ालिफ़ किरण कुमार रेड्डी सोच से पैदा होने वाली सूरत-ए-हाल का किस तरह सामना करसकते हैं उन की सलाहीयतों पर मुनहसिर है।

मगर उन्होंने बाग़ीयों को नाअहल क़रार देने के लिए अब तक कोई क़दम नहीं उठाया है तो इस का मतलब यही हुआ कि वो कोई तनाज़ा पैदा करना नहीं चाहते। कांग्रेस और प्रजा राज्यम से नाराज़ अरकान ने फ़ैसला किया है कि वो वाई एस आर कांग्रेस पार्टी के स्कार्फ़ पहने हुए ऐवान में शिरकत करेंगे। बाग़ीयों के हौसले इस लिए बुलंद हैं कि स्पीकर ने इन को नाअहल क़रार देने का हौसला ज़ाहिर नहीं किया है। स्पीकर की कमज़ोरी या मजबूरी का जवाब ये होगा कि बाग़ी अरकान ऐवान असेंबली को अवामी मसाइल को पेश करने का मुक़ाम बनाने से ज़्यादा अपनी एहमीयत और ताक़त का मुज़ाहरा के लिए इस्तेमाल करेंगे।

ये बाग़ी अरकान ऐवान में सिर्फ वाई एस आर पार्टी का खंडवा पहन कर मुज़ाहरा नहीं करेंगे। बल्कि वो तमसीली असेंबली कार्रवाई के ज़रीया स्पीकर की कमज़ोरीयों को मज़ाक़ बनाएंगे। असेंबली में सरकारी बंचों पर ही बैठ कर जब 17 बाग़ी अर्काने हुकूमत की मुख़ालिफ़त करेंगे तो ये मंज़र हुकूमत के लिए अफ़सोसनाक होगा। स्पीकर असैंबली ने नाराज़ क़ाइदीन को नाअहल क़रार देने का फ़ैसला असैंबली के बजट इजलास से क़ब्ल ही करने का ऐलान किया था मगर अब बजट सेशन शुरू हो चुका है तो बाग़ीयों को हौसला मलाका वो अपना सयासी वज़न दिखा दें।

हो सकता है कि कांग्रेस नरम रवैय्या इख़तियार करके उन बाग़ीयों को अपने फ़ैसला पर नज़रसानी करने का एक और मौक़ा दे रही है। सख़्त फ़ैसले के बजाय एहतियात से काम लेने का मतलब यही है कि हुक्मराँ पार्टी को दाख़िली तौर पर इंतिशार का सामना है। क्यों कि 7 मख़लवा असेंबली नशिस्तों के बिशमोल 24 असेंबली हलक़ों में ज़िमनी इंतेख़ाबात की सूरत में हुक्मराँ पार्टी को तशवीशनाक हालात से दो-चार होना पड़ेगा।

वैसे भी वो अपना साल 2012-13 का बजट पेश करके अवाम की राय हासिल करने जा रही है तो असेंबली की तज़ईन नौ वाली कुर्सीयों पर बैठे अरकान के राडर स्क्रीन से ग़रीब अवाम के बढ़ते हुए मसाइल भी अमलन नज़र अंदाज कर दिए जाएं तो इंतेख़ाबात में उन्हें सबक़ सिखाया जाएगा। सयासी अदम इस्तिहकाम, कमज़ोर हुक्मरानी, नाराज़गियों और क्रप्शन की वबा में महसूर हुकूमत को कई शोबों में बदइंतिज़ामी को रोकने के लिए फ़ौरी हरकत में आने की ज़रूरत है ताकि ऐवान असेंबली में सियासतदानों की तीर अंदाज़ियों से बच निकल कर वो इंतिज़ामी सलाहीयतों का बेहतर मुज़ाहरा कर सके।

अवाम सिर्फ़ रुपये की क़दर के आईना में अपनी जेब और महंगाई के तवाज़ुन को बेहतर बनाने की फ़िक्र रखते हैं उन की फ़िक्र पर ध्यान देना हुकूमत का अव्वलीन फ़रीज़ा है।