बटला इनकाउन्टर से लगे आज़मगढ़ और मुस्लिम समाज के कलंक को मिटाना है: आमिर रशादी

आजमगढ़। बटला हाउस इन्काउन्टर की आठवीं बर्सी पर आज मेहता पार्क में राष्ट्रीय उलेमा कौन्सिल के तत्वाधान में विशाल धरना प्रदर्शन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित जनसैलाब को सम्बोधित करते हुए कौन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि ये संधर्ष सिर्फ एक वर्ग, समाज य क्षेत्र के लिए नही है बल्कि ये लड़ाई न्याय और अन्याय की है।

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इस प्रदर्शन में जनपद के कोने कोने से हज़ारों की तादाद में काउन्सिल कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों ने भाग लिया उन्होंने उन हज़ारों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि 19 सितम्बर 2008 के बटला हाउस फर्जी इन्काउन्टर में जनपद के दो होनहार छात्रों के साथ एक जांबाज़ पुलिस अफसर को मौत के घाट उतार दिया गया और अन्य कई मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के झूठे आरोप में सलाखों के पीछे डाला दिया गया और उनका जीवन बर्बाद कर दिया गया।
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बसपा अध्यक्ष मायावती की पिछले दिनों आज़मगढ़ में हुई रैली में मायावती द्वारा बेगुनाह मुसलमानों के जेल में बन्द होने के बयान पर कटाक्ष करते हुए मौलाना रशादी ने कहाकि, ‘‘मायावती के सपा सरकार में बेगुनाह मुसलमानों की याद सता रही है पर जब इन्ही की सरकार में हकीम तारिक और मरहूम खालिद मुजाहिद को गिरफतार किया गया था तो मायावती कौन सा मौन व्रत धारण किये हुए थीं? इनके बनाए निमेश कमीशन ने उन्हे बेगुनाह करार दिया था पर मायावती फिर भी अपने आर0एस0एस0 के आकाओं को खुश करने के लिए उन मज़लूम और बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को रिहा नही कर पाई और आज जब सत्ता से दूर हो गई हैं तो मुसलमान और उनके दुख मायावती को भी सताने लगे हैं।

उरी में हुए आतंकवादी हमलों में मारे गए जवानों का जिक्र करते हुए मौलाना रशादी ने कहाकि, ‘‘हम शहीद जवानों को श्रध्दांजली अर्पित करते हैं, वो देश के लिए शहीद हुए और हम सब को उनपे गर्व है और इस दुख की घड़ी में हम और पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है। पर अफसोस है कि छदम राष्ट्रवाद का चोला ओढ़ी नरेन्द्र मोदी सरकार आए दिन जवानों की हत्याओं पर कोई ठोस कदम नही उठा पाई, जहां एक तरफ देश का सीना छलनी किया जा रहा है तौ वही दूसरी तरफ 56 इंच के सीने का दावा करने वाले नरेन्द्र मोदी नवाज़ शरीफ का जन्मदिन मनाने बिन बुलाए पाकिस्तान पहुंच जा रहे हैं और हिन्दुस्तान में उनके मंत्री मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की सलह दे रहे हैं और ट्वीटर पर हमलों की निंदा कर रह हैं। केन्द्र सरकार की कमज़ोर विदेश एवं रक्षा पालिसी की देन है जिसकी कीमत आज हमारे सैनिक चुका रहे हैं। नरेन्द्र मोदी अगर सचमुच देशभक्त हैं तो उन्हे फौरन पाकिस्तान से सभी कूटनीतिक रिश्ते समाप्त कर लेने चाहिए और जब तक पाकिस्तान पठानकोट और उरी हमलों के मुजरिमों को सामने नही लाता तब कोई बातचीत नही होनी चाहिए।

प्रदेश की सपा सरकार पर हमला करते हुए उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश जल रहा है मुलायम परिवार कुर्सी की लड़ाई में जल रहा है, दो दिन पहले बिजनौर में जिस तरह से गहरी साजि़श के तहत एक स्कूल जा रही छात्रा को पहले छेड़ा जाता है और फिर उसी के घर पर धावा बोल कर उसके परिवार के 4 लोगों को गोली मार कर मौत के घाट उतारने के साथ ही 2 साल के बच्चे से ले कर 60 साल के बुज़ुर्ग तक दर्जनों लोगों को घायल किया जाता है और पुलिस मौन खड़ी तमाशा देखती है और घटना के समय जब 100 नम्बर, पुलिस कप्तान, डी0एम0, विधायक को फोन किया जाता है तो इनमें से किसी का फोन तक नही उठता, ये साफ इस बात की तरफ इशारा करता है कि इस नरसंहार में सपा-भाजपा दोनों शामिल हैं और मिलकर एक बार फिर प्रदेश में एक और मुज़फ्फरनगर को अंजाम देना चाहते हैं ताकि ध्रूवीकरण कर राजनैतिक लाभ उठाया जा सके। मुख्यमंत्री अपने चाचा से व्यक्तिगत नाराज़गी के बिना पर अपने दिन भर के सरकारी कार्यों को टाल सकते हैं पर घण्टे भर का समय निकाल बिजनौर के मज़लूमों का हाल लेने नही पहुंच सकते क्योंकि वो मुसलमान हैं। अब मुसलमान सपा के बहकावे में नही आने वाला है क्योंकि बाप-बेटे का असली चेहरा अब बेनकाब हो चुका है कि किस तरह प्रदेश में सरकार तो सपा को है पर राज आर0एस0एस0 और भाजपा का है वर्ना योगी आदित्यनाथ, साक्षी महाराज और साध्वी प्रज्ञा जैसे असमाजिक तत्व खुले आम प्रदेश में नफरत की बीज बो रहे हैं और प्रदेश सरकार और प्रशासन सोया हुआ है। अब ये सपा-भाजपा की नूरा कुशती नही चलेगी।

उन्हो ने कहा कि इस वर्ष कौन्सिल दिल्ली के जंतर मंतर से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश के समस्त ज़िलों में धरना प्रदर्शन कर रही है और एक तरफ जहां हम केन्द्र व दिल्ली सरकार से बटला हाउस इन्काउन्टर की न्याययिक जांच की मांग करेंगें वहीं हम कांग्रेस और उसकी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उमीदवार शीला दीक्षित का विरोध कर उनका असली चेहरा जनता के सामने भी करेंगे क्योंकि शीला दीक्षित के कार्यकाल में ही जनपद के दो बच्चों का कत्ल हुआ और कानूनी प्रक्रिया होने के बावजूद भी शीला दीक्षित की सरकार ने कोई जांच नही कराई। देश के क्रिमिनल प्रासीजर कोड की धारा 176 के अंतर्गत किसी भी प्रकार के पुलिस टकराव में हत्या की किसी भी घटना की जांच मजिस्ट्रेट द्वारा करवाना आवश्यक है परन्तु बटला हाउस काण्ड में आरम्भ से ही समस्त कानूनों की धज्जीयां उड़ाई गयी।