नई दिल्ली: शाही इमाम मस्जिद फतेहपुर दिल्ली मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने आज जुमा की नमाज से पहले कहा कि मज़हब इस्लाम में आला अख़लाक़ की तालीम दी गई है। मज़हब अलग-अलग हो सकता है लेकिन इन्सानियत के रिश्ते का लिहाज़ रखते हुए हर एक के साथ अच्छा व्यवहार की ताकीद की गई है, इसी वजह से मुसलमान सब्र के साथ हालात का जायज़ा लेते हैं| और बेक़सूर लोगों से कभी तार्रुज़ नहीं करते।
पैगम्बरे इस्लाम की सीरत-ए-तैयबा से यह तालिम मिलती है| आज ज़रूरत है कि हम सब लोग सीरते तैयबा की तालीम को आम करें फ़ैशन, बेपर्दगी और वेस्टर्न सभ्यता फ़ुज़ूल ख़र्चियों से दूर रहते हुए अपने बच्चों की तालीम-तर्बीयत की तरफ़ ध्यान दें। शाही इमाम ने कहा कि इस साल बजट में माइनॉरिटीज के लिए इज़ाफ़ा नहीं किया गया है हालाँकि ये बहुत ज़रूरी था।
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि सरकारी स्कीमों से फ़ायदा उठाएं। शाही इमाम ने माइनॉरिटी कमीशनों से भी अपील की कि माइनॉरिटीज के लिए स्कीमों की तशहीर की जाये समाजी कार्यकर्ताओं और ग़ैर सरकारी समाजी संगठन भी इस काम में सहयोग करें।
शाही इमाम ने कहा कि तीन दिन पहले आगरा में मानव संसाधन विकास स्टेटस मिनिस्टर कठेरिया ने भड़काऊ करते हुए फ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत(Religious hatred) फैलाने वाला बयान दिया था बीजेपी के दूसरे लीडरों ने भी इस तरह के बयान दिए हैं। ये सब बंद होना चाहिए और ऐसे सियासी लीडरों के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री और भारत सरकार को नोटिस लेना चाहिए और ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाई होनी चाहिए क्योंकि ये लोग पार्टी के नादान दोस्त हैं जिनकी हरकतों से बाहरी मुल्कों में मौजूदा केंद्र सरकार पर आलोचना की जा रही है।
पिछले महीने एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट छपी थी कुछ अमेरिकी सांसदों ने भी माइनॉरिटीज के साथ नाइनसाफ़ी पर प्रधानमंत्री को ख़त लिखा था। जेएनयू मामले में अमेरिकी यूनीवर्सिटीयों ने भी हिन्दुस्तानी छात्रों के साथ एकजुट हुये थे, अगर केंद्र सरकार बहारी मुल्क में साख बेहतर बनाना चाहती है तो मज़हबी हिंसा और घृणा को ख़त्म करना होगा।
हमारा सेक्युलरिज़म पर आधारित है और 68 साल में इसका तजुर्बा हो चुका है। हिन्दुस्तान की अवाम मिल-जुल कर रहना चाहते हैं इस की जितनी तारीफ़ की जाये कम है सब का साथ सब का विकास हक़ीकत में होना चाहिए। तीन तलाक़ और कई शादियों के बारे में फिर सुप्रीमकोर्ट में मामला पेश हुआ है, सुप्रीमकोर्ट की एक बेंच ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सलाह दी है कि वक़्त आगया है कि अब मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव किया जाए।
शाही इमाम ने कहा कि किसी भी माइनॉरिटीज या अक्सरीयत के पर्सनल लॉ में दख़ल नहीं होनी चाहिए और मुस्लिम शरीयत इन्सानों का बनाया हुआ क़ानून नहीं है बल्कि वो अल्लाह का पसंदीदा मज़हब है इस में किसी भी तरह की दख़ल नहीं होना चाहिए। हमारा सेक्युलर जो आज़ादी देता है इस में अदालत को दख़ल नहीं देना चाहिए|