बदलते हालात को मुसलमान अब समझने लगे हैं- मौलाना अबु तालीब रहमानी

अब्दुल हमीद अंसारी, कोलकाता। मौलाना अबु तालीब रहमानी ने सियासत हिंदी से मुलाकात में यह बातें कही। हाल ही में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता हासिल करने वाले मौलाना अबु तालीब रहमानी अपनी बात को आगे ले जाते हुए कहा कि सियासी तौर पर हम हमेशा से शिकार होते आये हैं, हर दौर की सियासत ने हमें इस्तेमाल किया है, मगर अब मुश्किल है।

यह बात और है कि ज्यादातर मुस्लिम बहुमूल्य इलाकों को रिजर्व कर दिया गया है मगर सियासत में अब मुसलमान संभल चुके हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम वोटरों का रुख क्या होगा? यह पुछे जाने पर मौलाना अबु तालीब रहमानी ने कहा- “मुसलमानों में इतनी समझ आ चुकी है कि सियासत में अपना वजूद और हक़ को समझ सके।”

यकीनन वहां के मुसलमान अपनी बेहतर राय पेश करेंगे। मौलाना अबु तालीब रहमानी से मेरी मुलाकात बहुत कम वक्त की रही, लेकिन उन्होंने जो बात कही उन बातों में नौजवानों के लिए हिदायतें बहुत हैं। उन्होंने समाजिक तनाव पर अपना नजरिया रखते हुए कहा कि “वक्त के साथ सब कुछ बदलते हैं और समाज भी बदला है मगर आज भी ज्यादातर लोग एक बेहतर पड़ोसी चाहते हैं और हम मुसलमानों का फर्ज बनता है कि हम अपने पड़ोसीयों से अच्छा बर्ताव करें।”

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “प्रोपागेंडा ज्यादा वक्त तक कामयाब नहीं रहता, जब सच्चाई सामने आने लगती है तो वह सब कुछ उल्टा असर करने लगता है। जितना मुसलमानों के खिलाफ तोड़ने की मुहिम चलाई गई, मुसलमानों में समझ उतना ही मजबूत हुए हैं।” उन्होंने कहा कि एक बात तो साफ है, इस दौर में मुसलमानों में एक अलग बदलाव आया है।

सियासी समझ के साथ समाजिक और आर्थिक समझ में में भी बदलाव आया है, हां कामयाबी का मुकाम हासिल करने में थोड़ा वक्त जरुर लगेगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि स्थितियां चाहे जो भी रहा हो, मुसलमान संभलने में कामयाब हुए हैं।

मालूम हो कि मौलाना अबु तालीब रहमानी एक बेहतरीन ओरेटर हैं। इसलाम की जानकारी के अलावा सियासी समझ के बेहतरीन मालिक हैं। एक दौर में बिहार की राजनीति में काफी एक्टिव रहे हैं। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से उनके अच्छे रिश्ते रहे।