बदले-बदले से गडकरी नज़र आते हैं!

लखनऊ: पांच राज्यों में मिली हार के बाद भाजपा के कई नेताओं के बगावती सुर सुनने को मिल रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जब ये कहा कि कुछ लोग उनके और पार्टी के बीच में दूरी बनाना चाहते हैं तब भाजपा में कईयों को लगा कि कसूर गडकरी का नहीं मीडिया का हो सकता है ।

पर जब उन्होंने सांसद- विधायक की हार के लिए पार्टी अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराने की बात कही आर साथ ही नेहरू की प्रशंसा की जिनकी नीतियों की बुराई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर करते रहते है तब पार्टी के लोगों में चर्चा का विषय उठना आम बात थी।

अब तक मौन रहने वाले गडकरी, पांच राज्यों में भाजपा की करारी हार के बाद तोपची बनके जो निशाना लगा रहे हैं , उससे ये तय कर पाना मुश्किल है कि तोपची गडकरी की तोप के निशाने पर आखिर है कौन ?

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ?….संघ या फिर कोई और ?

आपको बता दें कि भाजपा में लो प्रोफाइल माने जाने वाले नितिन गडकरी ने नेहरू के जो बखान किए हैं वह सोच-समझकर किए गए हैं क्योंकि वह जानते हैं कि प्रधानमंत्री को इससे चिढ़ है ।

गडकरी ने अपने बयानों के तीर से निशाना तो लगा दिया है पर देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा के नेतागण इसको सकारात्मक रूप में लेते हैं या फिर नकारात्मक रूप में लेते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव करीब है और चुनावों से ठीक पहले नितिन गडकरी का बगावती सुर कहीं ना कहीं पार्टी के उच्च स्तर पर बैठे हुए नेताओं को सोचने पर मजबूर जरूर करेगा क्योंकि दिल्ली की गद्दी पर अगर दोबारा विराजमान होना है तो किसी भी पहलुओं पर भाजपा खुद को कमजोर नहीं पड़ने देगी ।