बनी वलीद पर क़ज़ाफ़ी के वफादारों का कंट्रोल बरक़रार, बाग़ीयों में ताल मेल का फ़ुक़दान

बनी वलीद, 19 सितंबर (राईटर) लीबिया की उबूरी हुकूमत के ओहदेदारों के दरमयान ज़बरदस्त इख़तिलाफ़ात और मर्कज़ी कमान के फ़ुक़दान नीज़ मुतनाज़ा अहकामात के सबब ये हुकूमत मुअम्मर क़ज़ाफ़ी के आख़िरी क़िला बनी वलीद पर अपना क़बज़ा करने में नाकाम हो रही है। जिस की वजह से पूरे मुल्क पर इस का इक़तिदार नहीं हो पारहा ही। क़ौमी उबूरी कौंसल को किसी वजह से गुज़शता दिनों क़ज़ाफ़ी के आबाई शहर से ख़ाली हाथ लौटना पड़ा था। क़ज़ाफ़ी के आबाई शहर सुरत और इस से मुत्तसिल शहर सभा ऐसे दो शहर हैं जिन पर क़ौमी उबूरी कौंसल का उस वक़्त क़बज़ा नहीं है। अगर इन दोनों शहरों पर इस का क़बज़ा होगया तो वो पूरे मुल्क पर हुकूमत करेंगे। गुज़शता तीन कोशिशों में उबूरी कौंसल के जंगजूओं को सुरत शहर से ख़ाली हाथ वापिस लौटना पड़ा है क्योंकि क़ज़ाफ़ी की हामी फ़ौज उन पर राकेट से हमला कररही थी और उबूरी कौंसल उन के हमलों का सामना नहीं कर पा रही थी। उबूरी कौंसल में शामिल फ़ौज के मुख़्तलिफ़ दस्ता आपस में ही लड़ रहे हैं क्योंकि तरह बुल्स के फ़ौजी ख़ुद अपने अवाम के ख़िलाफ़ लड़ना नहीं चाह रहे हैं और तरह बुल्स में ये बात आम है कि यहां के बहुत से अफ़राद ने ग़द्दारी की है और वो मुख़ालिफ़ फ़ौज में शामिल होगए हैं। माज़ी में क़ज़ाफ़ी की फ़िज़ाई फ़ौज के पायलट साबरी सलीम भी अब क़ज़ाफ़ी मुख़ालिफ़ फ़ौज में शामिल होगए हैं। और बाग़ी ब्रिगेड की क़ियादत कररहे हैं।