हैदराबाद 08 मार्च: दिलसुखनगर मे हुए दोहरे बम धमाकों ने पुलिस मे इतनी जुर्अत पैदा करदी है कि वो अपनी जान की परवाह किए बगै़र शहरीयों के हैन्ड बैग मे बम तलाश करने लगी है ।
दोहरे बम धमाकों के बाद बमों की दहश्त से अवाम दहश्त ज़दा तो थे ही, लेकिन पुलिस ने तलाशी के नाम पर मज़ीद दहश्त पैदा कर दी है । शहर के मासूम अवाम पुलिस की मुस्तइद्दी और चौकसी के नाम पर की जाने वाली कार्यवाईयों से हिरासानी का शिकार होने लगे हैं ।
शहरी पुलिस ने आज दिन भर शहर के अहम बाज़ारों में ना किसी को इतमीनान से कारोबार करने दिया और ना ही राहगीरों को आज़ादना आने जाने की इजाज़त मिली । हिमायतनगर के एक शहरी ने बताया कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था कि वो कश्मीर में मुक़ीम हैं। अवाम ने बताया कि आज सिर्फ़ एक दिन में उन्हें 3 मुक़ामात पर तलाशी देनी पड़ी । पुलिस की कार्यवाहियां जिस अंदाज़ में जारी हैं इस से महसूस होता है कि पुलिस मौके को ग़नीमत जानकर माले ग़नीमत बटोरने मे मसरूफ़ है ।
सिर्फ़ मोटर साइकिल या मोटर कार मे सफ़र करने वाले ही हिरासानी का शिकार नहीं हैं बल्के पुलिस ने हर किसी को दहश्तगर्द समझना शुरू कर दिया है । सड़कों पर ख़वातीन के बैग को तक खोल कर तलाशी ली गई । सुबह से एक बेनामी पैग़ाम ने आबिडस, नामपली, कोठी में दहश्त मचा रखी थी कि पुलिस ने तलाशी मुहिम के नाम पर हंगामे का आग़ाज़ कर दिया ।
4 बजे से ही बाज़ार बंद करवाने की कोशिशों का आग़ाज़ कर दिया जिसके नतीजे मे शहरीयों में ख़ौफ़ की लहर दौड़ गई । लोग घरों की तरफ़ लौटने लगे । शायद पुलिस ओहदेदार इस बात से वाक़िफ़ नहीं हैं कि दहश्त गिरदाना हमलों से किसी तरह निमटना चाहीए या फिर बम की तन्क़ीह कैसे की जाती है ?चूँकि जहां कहीं बम की तन्क़ीह करनी होती है वहां मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल होता है अगर मेटल डिटेक्टर ना होतो इस शए को हाथ तक नहीं लगाया जाता है जिसे मुश्तबा तसव्वुर किया जाता है लेकिन हैदराबाद पुलिस अहलकार तलबा और राहगीरों के बयागस में हाथ डाल कर तलाशी ले रहे हैं जैसे बम दस्तयाब होते ही वो उसे नाकारा बनादेंगे । आबडस के एक ताजिर ने बताया कि पुलिस हिरासानी से पिछ्ले एक हफ़्ते से कारोबार मुतास्सिर है और पुलिस ने आज तो तमाम हदें पार करलीं।
पुलिस ने दुकानों में दाख़िल होकर ग्राहकों और दुकानदरों की तलाशी ली है जिस से अवाम के ख़ौफ़ मे मज़ीद इज़ाफ़ा हुआ है । पुलिस से अवाम ने ये इस्तेफ़सार किया है कि शहर मे बम या बम बनाने का सामान आता कहाँ से है ? अगर बाहर से आता है तो रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन और शहर में दाख़िल होने वाले रास्तों की तलाशी ली जानी चाहीए ना कि मासूम अवाम को हिरासाँ किया जाये ।
अगर पुलिस को हर हफ़्ता मर्कज़ी हुकूमत से अलर्ट जारी किया जाये तो क्या पुलिस शहर मे इसी तरह दहश्त फैलाएगी ?पुलिस का रवैया शहरीयों की हिफ़ाज़त से ज़्यादा परेशानी का मूजिब है । अवाम ने शिकायत की के पुलिस अहलकार तलाशी के नाम पर रोक कर आँख बचा कर मोटी रक़ूमात भी वसूल कररहे हैं ।
आबडस ,कोठी और नामपली के फुटपाथ के ताजिरों ने भी कहा कि रोज़मर्रा के कारोबार के ज़रीया हम अपना और घर वालों का पेट भरते हैं लेकिन तलाशी और सयान्ती इक़दमात के नाम पर पुलिस उन्हें भूका मारने के दरपे है । आज दोपहर से किसी भी ठेला बंडी को इलाके मे टहरने नहीं दिया गया । अवाम ने महिकमा पुलिस से अपील की के वो ज़रूर सयान्ती इक़दामात करे चूँकि पुलिस की डयूटी शहरीयों का तहफ़्फ़ुज़ है लेकिन सयान्ती इंतेज़ामात के नाम पर शहरियों को हिरासानी से एसा महसूस होरहा है कि पुलिस की मुस्तइद्दी अवाम से किसी किस्म का इंतेक़ाम है ।