बम धमाकों के मुल्ज़िमीन की रिहाई के लिए अखिलेश यादव को अर्ज़दाश्त ( आवेदन पत्र)

उत्तरप्रदेश के नए वज़ीर-ए-आला ( मुख्य मंत्री) अखिलेश यादव ने अपने इक़तिदार (शासन/सत्ता) सँभालने के बाद ये कहा था कि लखनऊ फ़ैज़ाबाद और विरह नासी की अदालतों में 23 नवंबर 2007 को हुए बम धमाकों के चारों मुल्ज़िमीन आज़मगढ़ के हकीम तारिक़ क़ासिमी जौनपूर के मौलाना ख़ालिद मुजाहिद मुहम्मद अख्तर सज्जाद अल रहमान इन दोनों का ताल्लुक़ ( संबंध) ग़ालिबन ( शायद) जम्मू कश्मीर से है को गिरफ़्तार किया गया है जिन पर अली उल-तरतीब लखनऊ बाराबंकी फ़ैज़ाबाद की अदालतों में मुक़द्दमात चल रहे हैं ।

एस टी एफ़ ने इन मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ अदालतों में चार्ज शीट दाख़िल कर रखी है । वज़ीर-ए-आला ने कहा कि चूँकि ये मुआमला बादियुन्नज़र( पहली दृष्टि/ नज़र) में लगता है कि इन मुल्ज़िमीन ( आरोपीयों) को ए टी एस ने फ़र्ज़ी-ओ-बोग्स मुआमलत में फंसाया है इसलिए उन की हुकूमत ने महकमा क़ानून से इस मुआमला ( मामले) में उन के मुक़द्दमात के बारे में सलाह मांगी है कि आया उन मुल्ज़िमीन ( आरोपीयों) पर से रियास्ती हुकूमत (सरकार) मुक़द्दमात उठा सकती है या नहीं ?

इस मुआमला ( मामले) पर अभी तक महकमा क़ानून ने रियास्ती हुकूमत ( राज्य सरकार ) को अपनी सलाह नहीं दी है । सलाह में ताख़ीर ( विलम्ब/देर) की बिना पर मुल्ज़िमीन ( आरोपीयों) के रिश्तेदारों ने आज रियासत के वज़ीर-ए-आला और हुकूमत के दीगर ज़िम्मेदारों को एक तफ़सीली अर्ज़दाशत ( आवेदन पत्र) पेश की है।

इस में कहा गया है कि इन मुल्ज़िमीन ( आरोपीयों) के ख़िलाफ़ अब तक कोई भी ऐसा सुबूत ( प्रमाण) नहीं मिल सका जो उन्हें मुल्ज़िम ( गुनाहगार/अपराधी) साबित कर सके । उन्हों ने कहा कि ये मुल्ज़िमीन गुज़शता ( पिछ्ले)पाँच सालों से बेक़सूर होने के बावजूद जेल सऊबतें झेल रहे हैं और उन्हें आज तक ज़मानत पर रिहा नहीं किया गया है जिस से ख़ुसूसी तौर पर मुसलमानों में बेचैनी पाई जाती है।