बम धमाकों के मुल्ज़िम के ख़िलाफ़ सख़्त फ़र्द-ए-जुर्म आइद करने हाईकोर्ट की हिदायत

नई दिल्ली, ०४ दिसंबर ( पीटीआई ) दिल्ली हाईकोर्ट ने आज तहत की अदालत को हुक्म दिया कि हकूमत-ए-हिन्द के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का फ़र्द-ए-जुर्म वसीम अकरम मुल्क पर आइद किया जाए जिसने हाईकोर्ट के अहाता में सितंबर 2011 में दहशतगर्द हमले में हिस्सा लिया था ।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस पी गर्ग पर मुश्तमिल बंच ने क़ौमी तहक़ीक़ाती इदारा की तहत की अदालत के हुक्मनामा के ख़िलाफ़ दरख़ास्त की समाअत की । तहत की अदालत ने हुकूमत के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का सख़्त ताज़ीरी इल्ज़ाम वापस ले लिया था । वसीम अकरम मलिक को 7 सितंबर 2011 से मुक़द्दमा का सामना है ।

इन बम धमाकों में 15 अफ़राद हलाक और दीगर 79 ज़ख्मी हो गए थे । बंच ने कहा कि इल्ज़ामात के मुताबिक़ हक़ायक़ और माद्दी शहादतें मुबय्यना फ़र्द-ए-जुर्म आइद करने का जवाज़ रखती हैं । ये इल्ज़ामात क़ानून ताज़ीरात ए हिंद की मुताल्लिक़ा दफ़आत के तहत आइद किए जा सकते हैं ।

दिल्ली हाईकोर्ट की बंच ने अपने फ़ैसले में कहा कि क़ानून ताज़ीरात ए हिंद की दफ़ा 121 (हिंदूस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने )दफ़ा 121A(दफ़ा 121 के तहत क़ाबिल-ए-सज़ा जराइम के इर्तिकाब की साज़िश) दफ़ा 122 ( असलाह वग़ैरा हासिल करने जिनका मक़सद हिंदूस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना हो) और दफ़ा 123 (जंग छेड़ने के अज़ाइम की मौजूदगी को पोशीदा रखना ) इलावा अज़ीं दफ़ा 120B (मुजरिमाना साज़िश) का फ़र्द-ए-जुर्म तहत की अदालत में आइद किया जाएगा ।

दिल्ली हाईकोर्ट की बंच ने एन आई ए की इस दलील को कुबूल कर लिया कि मुल्ज़िम का मक़सद किसी मख़सूस शख़्स को ज़ख्मी करना नहीं था बल्कि वो बहैसीयत उमूमी अवाम को ज़ख्मी करना चाहता था । बंच ने कहा कि हम मौजूदा अपील की इजाज़त देते हुए तहत की अदालत के फ़ैसले पर अगर एफ़ 24 को कुलअदम क़रार देते हैं ।