बम में लगा टाइमर बंद नहीं होता, तो मचती भारी तबाही

गांधी मैदान में सर्च मुहिम के दौरान मंगल को भी पांच जिंदा बम मिले। एक बम श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के सामने गांधी मैदान के अंदर चहारदीवारी में फूलों की क्यारी के लिए बनायी गयी जगह में उजले रंग के पॉलीथिन में बंधा था।

उसके ऊपर हल्की मिट्टी रखी हुई थी। दूसरा बम मगध ख़वातीन कॉलेज के सामने गांधी मैदान के अंदर सड़क के किनारे जमीन पर रखा था। यह भी पॉलीथिन में ही बंधा था। इसके साथ दो और बम सीरीज में जुड़े थे। पांचवां बम पहले बम से 15 कदम की दूरी पर बरामद किया गया। पांचों टाइमर बम थे और एक ही तरीके से बनाये गये थे। बताया जाता है कि तमाम बमों का टाइमर बंद हो चुका था।

एनएसजी टीम ने कराया धमाका

सर्च के दौरान सुबह 11 बजे श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के सामने गांधी मैदान के अंदर पॉलीथिन में लिपटी मुश्तबा समान पायी गयी। पुलिस को बम होने का शक हुआ और फौरन इलाके की घेराबंदी कर आसपास से लोगों को हटा कर काफी तादाद में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी। इसके साथ ही श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के सामने की सड़क के एक फ्लैंक (गांधी मैदान से चिल्ड्रेन पार्क की तरफ जानेवाले रास्ते) पर गाड़ियों के ट्राफिक पर रोक लगा दी गयी। 12.15 बजे एनएसजी की टीम वहां पहुंची और बम होने की तसदीक़ किया।

बम होने की तसदीक़ के बाद गांधी मैदान में मौजूद पुलिस अफसरों और मीडिया अहलकारों को तकरीबन 200 मीटर की दूरी पर जाने की हिदायत देते हुए इलाके की घेराबंदी कर दी गयी। एनएसजी के बम बचाओ दस्ते ने बम के तारों को सटा कर धमाका करा दिया।

इसके फौरन बाद एक और बम मगध ख़वातीन कॉलेज के सामने गांधी मैदान के अंदर पक्की सड़क के पास से बरामद किया गया। उस पर पहले बालू और पानी डाल कर तबाह करने की कोशिश किया गया। इसके लिए फायर ब्रिगेड की टीम को भी बुला लिया गया था। इसके बाद इस बम को भी धमाका कर तबाह कर दिया गया। तबाह करने लिए बालू और पानी इसलिए डाला गया था, क्योंकि बगल में एक टेंट लगा था। टेंट में आग न लगे, इसके लिए ऐसा किया गया था। दूसरा बम पहले बम से कम ताकतवर था। पहले बम से काफी कम आवाज दूसरे बम के धमाके के बाद हुई।