निचली अदालत में तौविल अरसे से ज़ेरे अल्तवा मुक़दमात की जानकारी मिलने के बाद झारखंड हाइकोर्ट ने इनके फौरी अमलदार आमद को लेकर मंसूबा बनायी । इसके लिए रियासत में वाक़ेय तकरीबन 400 अदालत को हिदायत जारी किया गया।
तमाम अदालत को सबसे पुराने 20 मामलों को निशान देहि करने को कहा गया। इसके बाद तमाम अदालत के पीठासीन अफसरों को तरजीह के तौर पर इन मामलों की सुनवाई कर इन मुक़दमात की समाअत करने को कहा गया। हाइकोर्ट की तरफ से यह मंसूबा जुलाई 2011 में शुरू की गयी।
एक जुलाई 2012 से 31 दिसंबर 2012 तक 10 साल से ज्यादा अरसे से ज़ेरे अल्तवा 6002 मुक़दमात की कारकर्दगी किया गया। अभी भी तकरीबन 7000 मामले मुख्तलिफ अदालतों में ज़ेरे अल्तवा हैं। कुल मुक़दमात में 45 फीसद मामलों का अमलदार आमद हो चुका है। वहीं इस मुद्दत में पांच से 10 साल के दरमियान 15980 मामलों का निबटारा किया गया है। अभी भी ऐसे तकरीबन 31 हजार मुक़दमे ज़ेरे अल्तवा हैं।