बरुआ समेत 14 को फांसी की सजा

हिंदुस्तान में महदूद अलहैदगी पसंद तंज़ीम उल्फा के लीडर परेश बरुआ को बांग्लादेश में फांसी की सजा सुनाई गई है बरुआ के इलावा 13 और लोगों को भी हथियारों की तस्करी में मौत की सजा हुई है |

चटगांव की एक अदालत ने तकरीबन 10 साल पहले बांग्लादेश में हथियारों की सबसे बड़ी तस्करी के मामले में बरुआ को फांसी की सजा सुनाई | हालांकि इस दौरान बरुआ अदालत में नहीं थे | चटगांव में खुसूसी अथारिटी के जज मुजीबुर रहमान ने कहा, “हाई कोर्ट बेंच की तरफ से इज़ाज़त मिलने के बाद सजा सुनाई गई है | ” अप्रैल, 2004 में बांग्लादेश की हुकूमत ने चटगांव में हथियारों से लदे 10 ट्रकों को पकड़ा था |

यह बात कभी साबित नहीं हो पाई कि इतनी ज़्यादा तादाद में हथियार कहां से आए लेकिन बार बार इल्ज़ाम लगे कि ये हथियार सरहद पार हिंदुस्तान से तस्करी करके लाए गए थे | हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक इन्हें सिंगापुर के रास्ते हांग कांग से लाया गया था |

असम में अलहैदिगी पसंद लीडर परेश बरुआ को इस मामले में खाती करार दिया गया है और मौत की सजा सुनाई गई है | वह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के लीडर हैं |

हुकूमत ए हिंद ने 1990 में इसे दहशगर्द तंज़ीम बताते हुए इस पर पाबंदी लगा दिया है, हालांकि अमेरिका इसे दहशतगर्द तंज़ीम नहीं मानता इसके कई लीडरों पर बांग्लादेश में छिपने के इल्ज़ाम लगते आए हैं लेकिन हाल में बांग्लादेश की हुकूमत ने कई उल्फा कारकुनो को हिंदुस्तान के हवाले किया है |

बचपन में अच्छा फुटबॉल खेलने वाले बरुआ कभी डिब्रूगढ़ रेलवे टीम के लिए खेल चुके हैं. लेकिन बाद में वह असम में अलहैदगी के रास्ते पर चले गए और फिलहाल उल्फा के नायबसदर हैं | उनके ठिकाने के बारे में किसी को मालूमात नहीं है |

हथियारों के मामले में बांग्लादेश में दो केस दर्ज किए गए, एक हथियार कानून के तहत और दूसरा तस्करी मामले में इसकी सुनवाई 2005 में शुरू हुई और इल्ज़ाम है कि सुनवाई के दौरान कई मामलों को नजरअंदाज कर दिया गया सेक्युरिटी अहलकारों ने हजारों हथियार और तकरीबन 10 लाख गोलियां और दूसरे असलहे बरामद किये थे |

इन्हें मछली मारने वाले नावों से उतार कर ट्रकों पर भरा जा रहा था. इनमें 27,000 ग्रेनेड, 300 रॉकेट और 840 रॉकेट लांचर भी थे |

इस मामले में बांग्लादेश के साबिक सेक्युरिटी एजेंसी सरबराह साबिक वज़ीरऔर एक कट्टरपंथी लीडर को भी मौत की सजा सुनाई गई है जमाते इस्लामी के लीडर मोतिउर रहमान निजामी, साबिक नायब होम मिनिस्टर लुत्फुज्जमां बाबर और कौमी सेक्युरिटी एजेंसी के जनरल डायरेक्टर रिटायर मेजर जनरल रजाकुल हैदर चौधरी शामिल हैं |

सरकारी वकील कमालुद्दीन ने बताया कि ये सजा जज रहमान ने सुनाई और उन्होंने इस मामले को “मुल्क के सबसे सनसनीखेज मामलों में” बताया बचाव पार्टी के वकील कमरुल इस्लाम सज्जाद ने कहा कि वे ऊपरी अदालत में अपील करेंगे, “सजा कुछ भी नहीं, सिर्फ सियासी जलन और नफरत से जुड़ी है. मेरे मुवक्किलों को इंसाफ नहीं मिला है.”