हैदराबाद 22 जून: निज़ाम हैदराबाद दक्कन की बर्तानिया में मौजूद मुतनाज़ा दौलत के मुक़द्दमा में हिंदुस्तान को शिकस्त हो गई और पाकिस्तान ने इस मुक़द्दमा में कामयाबी हासिल करते हुए 35मिलियन पाऊंड पर अपना हक़ साबित कर दिया। तकसीम-ए-हिंद के दौरान सलतनत आसफ़िया के आख़िरी हुक्मराँ नवाब मीर उसमान अली ख़ां बहादुर ने दौलत की मुंतकली के अमल के दौरान एक मिलियन पाऊंड रक़म बर्तानिया मुंतक़िल की थी और ये रक़म हुकूमत बर्तानिया के तवस्सुत से बैंक आफ़ बर्तानिया पहुंचा दी गई थी लेकिन इंज़िमाम हैदराबाद के बाद निज़ाम हैदराबाद की इस दौलत पर हकूमत-ए-हिन्द ने अपना दावे पेश किया और ये मुक़द्दमा बरसों से ज़ेर तसफ़ीया रहा।
पाकिस्तान के दफ़्तर-ए-ख़ारजा की तरफ से जारी करदा इत्तेला के मुताबिक़ निज़ाम की तरफ से बर्तानिया में मौजूद पाकिस्तानी हाई कमिशनर की खाता में जमा ये रक़म जो अब 35मिलियन पाऊंड की ख़तीर रक़म हो चुकी है जो हिंदुस्तानी करंसी के मुताबिक़ 347 करोड़ 61लाख 71 हज़ार 953 रुपये होती है। इस दौलत के हुसूल के लिए ना सिर्फ हिंद।पाक ने दावे पेश किया बल्कि निज़ाम के विरसा ने भी इस दौलत को वापिस हिंदुस्तान लाने के लिए दावे पेश किया था जिसे बर्तानवी अदालत ने चंद माह पहले ख़ारिज कर दिया।तफ़सीलात के बमूजब 75 सफ़हात पर मुश्तमिल फ़ैसले में बर्तानवी अदालत के जज ने पाकिस्तान के हक़ में फ़ैसला सादर करते हुए इस रक़म का हक़दार क़रार दिया और हिंदुस्तान के दावे को ख़ारिज कर दिया।
68 बरसों से जारी इस मुक़द्दमे में फ़ाज़िल जज जय। हैंडरसन ने फ़ैसले में कहा कि 20सितंबर 1948को बर्तानवी बैंक में पाकिस्तानी हाई कमिशनर के नाम पर जमा करदा रक़म के दस्तावेज़ात पाकिस्तान के इद्दिआ को साबित करने के लिए काफ़ी शवाहिद हैं।पाकिस्तानी
हिंदुस्तान ने इस पेशकश को मुस्तर्द कर दिया था।ज़राए के बमूजब बर्तानिया में मौजूद हैदराबाद की इस दौलत के मुक़द्दमा का फ़ैसला बर्तानिया के महिकमा-ए-आसार क़दीमा-ए-में महफ़ूज़ दस्तावेज़ात के मुशाहिदे के बाद हुआ जिसमें हैदराबाद में ऑप्रेशन पोलो और सलतनत आसफ़िया का तख़्ता उल्टने के इलावा मुहम्मद अली जिनाह की मौत के बाद पैदा शूदा सूरत-ए-हाल का तज़किरा किया गया है।
इंज़िमाम हैदराबाद के बाद हकूमत-ए-हिन्द ने मुल्क की दिफ़ाई-ओ-मआशी सूरत-ए-हाल में बेहतरी लाने के लिए आसिफ़ साबह नवाब मीर उसमान अली ख़ां से इमदाद तलब की थी इस मौके पर भी हुज़ूर निज़ाम ने हुकूमत-ए-हिन्द को फ़राख़दिलाना इमदाद रवाना की थी।