बर्तानिया में शरई क़वानीन के इस्तिमाल में अज़ाफ़ा

लंदन 18 जनवरी । ( एजैंसीज़ ) बर्तानिया में शरई या इस्लामी क़वानीन के इस्तिमाल में अज़ाफ़ा हो रहा है । हज़ारों मुस्लमान अपने मसाइल इन ही क़वानीन के तहत हल कर रहे हैं ताहम ख़वातीन के हुक़ूक़ से मुताल्लिक़ तंज़ीमों और दीगर लोगों को इस पर एतराज़ है। बीबी सी के मुताबिक़ बर्तानिया में मुक़ीम मुस्लमान इस्लामी क़वानीन को अपनी अमली ज़िंदगी का हिस्सा बना रहे हैं ।

इस सिलसिले में एक मिसाल देते हुए कहा गया है कि बहन आप सिर्फ सच्च बोलें , क्योंकि अल्लाह आप का हर लफ़्ज़ सुन रहा है आप हम से तो झूट बोल सकती हैं लेकिन अल्लाह से नहीं। ये अलफ़ाज़ इस शेख़ के हैं जो एक औरत से ये जानने की कोशिश कर रहा था कि वो अपनी अज़दवाजी ज़िंदगी में ख़ुश क्यों नहीं है?।

मशरिक़ी लंदन के लैटिन इलाक़े में इस्लामी शरई कौंसल का सब से बड़ा दफ़्तर है। इस दफ़्तर के एक छोटे से कमरे में कौंसल के नुमाइंदे शेख़ हाशिम अलहदा से एक ख़ातून मिलने आईथी जो अपने शौहर से इस्लामी तरीक़े से तलाक़ लेना चाहती थीं और उन के शौहर ने इन को तलाक़ देने से इनकार कर दिया था।

ये ख़ातून शेख़ से कह रही थीं कि वो इस शादी से ख़ुश नहीं है क्योंकि इन का शौहर कभी भी घर पर नहीं होता और उन्हों ने इस के मोबाइल पर दूसरी औरतों के पैग़ामात देखे हैं और वो बच्चों की परवरिश के लिए माली इमदाद भी नहीं देता। इस्लाम में मुस्लमान मर्दों केलिए तलाक़ हासिल करना आसान है लेकिन अगर मर्द तलाक़ देने से इनकार कर दे तो औरत को अपनी शादी ख़तम करने के लिए शरई अदालत का सहारा लेना पड़ता है।