बर्तानिया में मौजूद हैदराबाद के असासा जात के मुक़द्दमा में पाकिस्तान को बर्तानिया की अदालत में एक और हतक उठानी पड़ी। गुज़िश्ता दिनों लंदन हाईकोर्ट ने उस मुक़द्दमा में जोकि सहि फ्रीकी था इस से पाकिस्तान के दावे को ख़ारिज करते हुए उस को दो फ़रीक़ैन के दरमयान बरक़रार रखा था।
लंदन हाईकोर्ट ने गुज़िश्ता यौम 67 साला क़दीम इस मुक़द्दमा में एक और फ़ैसला सादिर करते हुए पाकिस्तान को हुक्म दिया है कि वो क़ानूनी रसाकशी की फ़ीस के तौर पर हिंदुस्तान को एक लाख 50 हज़ार पाऊंडस अदा करे। पाकिस्तानी हाई कमिशनर लंदन को दिए गए अहकामात में लंदन की अदालत ने मुक़द्दमा के अख़राजात हिंदुस्तान को अदा करने की हिदायत जारी की है।
बर्तानिया की वेस्ट मिनिस्टर बैंक में जमा इस रक़म के मुआमला में गुज़िश्ता 67 बरसों से अदालत में मुक़द्दमा ज़ेरे दौरान है और इस मुक़द्दमा में निज़ाम के विरसा की हैसियत से आसिफ़ सामन नवाब मीर बरकत अली ख़ान मुकर्रम जाह बहादुर और नवाब मीर करामत अली ख़ान मुफ़ख़्ख़म जाह बहादुर ने भी इस दौलत पर अपने दावे पेश किए हैं।
इसी तरह हुकूमते हिन्द वेस्ट मिनिस्टर बैंक में जमा तक़रीबन 35 लाख पाऊंडस के हुसूल के लिए क़ानूनी कार्रवाई का हिस्सा बनी हुई है और हुकूमत का इस्तिदलाल है कि रियासत हैदराबाद दक्कन के हिंदुस्तान में इंज़िमाम से ये दौलत हिंदुस्तान की सरकारी दौलत हो जाती है। चूँकि ये मुआमला बैरून मुल्क अदालत में दो ममालिक के दरमयान जारी मुक़द्दमा का है और इस मुक़द्दमा में हिंदूस्तुनी विर्सा भी फ़रीक़ हैं।