यला रेड्डी और इस के तमाम मंडलों में बर्क़ी सरबराही बुरी तरह मस्दूद की जा रही है जिस से अवाम बदज़न हो चुके हैं और इस कटौती का मनफ़ी असर रास्त कारोबार पर पड़ रहा है। बर्क़ी की सरबराही कब की जाती है और कब बंद कर दी जाती है कोई मुक़र्ररा वक़्त नहीं।
जिससे पीने के पानी के साथ साथ बोरवेल रखने वाले भी परेशान हैं। बर्क़ी सरबराही दिन भर मुतास्सिर होने से पीने के पानी का ज़ख़ीरा किया जाना पंचायत के लिए मुहाल है और वो पीने का पानी सरबराह करने से क़ासिर है। माह मार्च में ये हाल रहा तो अप्रैल, मई , जून में क्या होगा , ये सोच कर अवाम काफ़ी फ़िक्रमंद हैं। ज़िला कलेक्टर ने तो पानी की क़िल्लत वाले इलाक़ों को पानी सरबराह करने के लिए ज़रूरी फ़ंड मंज़ूर करने का तीक़न दिया है और तहसीलदारों को इस की ज़िम्मेदारी दी गई है।
अवाम को पीने का पानी सरबराह करने के लिए हुकूमत मौसम-ए-गर्मा में ख़ुसूसी इक़दामात करे क्योंकि यला रेड्डी मुस्तक़र का तालाब लबरेज़ है पानी की कोई क़िल्लत नहीं है सिर्फ अवाम तक पहुंचाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है जिसकी वजह से मिनरल वाटर वालों की चांदी हो रही है।
अवाम को जब पीने का पानी भी बेहतर अंदाज़ में सरबराह ना कर सकें तो ये हुक्मराँ, ओहदेदार अवाम के मसाइल क्या हल कर सकेंगे। दूसरी तरफ़ मैट्रिक के इम्तेहान 26 मार्च से शुरू हो रहे हैं, बर्क़ी की मूसिर सरबराही ना होने के सबब तलबा-ए-ओ- तालिबात अपने इम्तेहानात की तैयारी भी नहीं कर पार है हैं। यलारेडी के अवाम को पीने के पानी के लिए ख़ास इनामदार, मुहल्ला सातोली बीस, नूर ख़ां मुहल्ला, जामा मस्जिद इलाक़ा के अवाम को शदीद दुशवारीयों का सामना है।
जबकि पानी वाफ़र मिक़्दार में मौजूद है लेकिन बर्क़ी की अदम सरबराही की वजह से सरबराही आब नहीं हो पा रही है।