बहन से छेड़छाड़ : थाने में शिकायत की तो छोटे भाई को उठाया

मुजफ्फरपुर : पहले 15 दिनों तक मोबाइल पर बहन को कॉल करके तंग किया। थाने में जब तहरीरी शिकायत की तो कार्रवाई करने के बदले थाने से इत्तिला लीक कर दी गई। फिर मेरे छोटे भाई को गुंडों के साथ मिल कर नीम चौक ले जाया गया। थाने में जब भाई को बचाने की गुहार लगाने पहुंचे तो टाल-मटोल करके पीछे से गश्ती टीम को भेजने का यकीन दिहानी दिया गया। भाई को बचाने के लिए मैंने लोहे की राॅड उठा ली। बीच-बचाव के बाद गुंडों ने छोटे भाई को छोड़ा। पुलिस कहती है कि एफआईआर करोगे तो बहन को इसमें इन्वॉल्व होना होगा। फिर कोर्ट-कचहरी में गवाही देनी होगी। अब समझ में आ रहा है कि कोई असलाह क्यों उठाता है…। गुंडागर्दी की यह कहानी काजी मुहम्मदपुर थाना इलाक़े की है। काजी मुहम्मदपुर थाना इलाक़े की रहने वाली बीए की तालिबा के फोन पर कॉल आ रही थी।

एमए की पढ़ाई व इम्तिहान की तैयारी कर रहा तालिबा का बड़ा भाई बीती रात पटना से शहर पहुंचा। मोबाइल नंबर व साथियों की मदद से दबंग लड़के की शिनाख्त की गई। अहले खाना में रायशुमारी के बाद सुबह साढ़े 10 बजे काजी मोहम्मदपुर थाने में नमालूम के खिलाफ बहन को मोबाइल पर परेशान करने की तहरीरी शिकायत बड़े भाई ने की। तालिबा के भाई का इल्ज़ाम है कि जिस दबंग लड़के के खिलाफ थाने में शिकायत की, उसका क्रीमनल शोबिया रहा है। थाने वाले उसे जानते थे। पुलिस की वह मुखबिरी भी करता है। थाने से लौटने के कुछ घंटे बाद मेरे छोटे भाई के नंबर पर दबंग नौजवान कॉल करके धमकी देते हुए बोला थाने वाले हमको अच्छी तरह से जानते हैं। मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे…। बातचीत के लिए छोटा भाई व चचेरा भाई अघोरिया बाजार पहुंचे तो दो-चार तमाचा जड़ते हुए दबंग ने मेरे छोटे भाई को उठा कर नीम चौक ले गया। उस समय मैं जंक्शन पहुंच गया था।
वाकिया की जानकारी मिलने पर फिर थाने पहुंचे।
गश्ती दल के ऑॅफिसर का मोबाइल नंबर थाने के ओडी ऑफिसर खोजने लगे। किसी तरह से मुझे थाने से चलता कर दिया गया। भाई को फंसा देख मैं नीम चौक पहुंचा। रेलवे लाइन पर छोटे भाई को गुंडों ने घेर रखा था। मैंने लोहे की रॉड उठा ली। बीच-बचाव करके मुक़ामी लोगों ने मामला सुलझाया। पुलिस का रवैया देख डीएसपी से मिले। डीएसपी के कहने पर शाम में फिर थाने पहुंचे। एफआईआर की जब बात हुई तो थाने में बोला गया कि मोबाइल की कॉल डिटेल निकालेंगे। बहन को इन्वॉल्व करना होगा। पुलिस का रवैया देख दुखी मन से मैं खुद थाने से लौट गया। देखेंगे मेरे हाथ में ताकत होगी तो बहन की इज्जत बचा लेंगे या बहन…।