अपोलो हॉस्पिटल्स में अमराज़ कान, नाक-ओ-हलक़ ( ई एन टी) के सर्जन कन्सलटेंट साओरभ गुप्ता ने कहा कि क़ुव्वत समाअत को हवास-ए-ख़मसा में कलीदी हिस्स है जिस से महरूमी ना सिर्फ़ दूसरों को सुनने और समझने की सलाहीयतों को मुतास्सिर करती है बल्कि ख़ुद मुतास्सिरा शख़्स की बोल चाल की सलाहीयतों पर भी मनफ़ी असरात मुरत्तिब करती है।
पब्लिक गार्डन वॉकरस एसोसीएशन (पी जी डब्लयू ए) के ज़ेरे एहतेमाम 230 वीं माहाना सेहत-ओ-तिब्बी लेक्चर देने के बाद डॉ साओरभ गुप्ता ने कहा कि समाअत से महरूमी (बहरापन) एक नज़र ना आने वाली माज़ूरी है जो किसी की शख़्सी सेहत, ख़ुशी-ओ-तरक़्क़ी पर इस के मनफ़ी असरात वाज़िह और बिलकुल हक़ीक़ी होते हैं।डॉ गुप्ता ने कहा कि आलमी इदारा-ए-सेहत (डब्लयू एच ओ) और हिंदुस्तान के मुख़्तलिफ़ इदारों के आदाद के मुताबिक़ हिंदुस्तान में हर 1000 बच्चों में चार बच्चे क़ुव्वत समाअत से महरूमी के साथ पैदा होते हैं।
बालिग़ान में भी क़ुव्वत समाअत से महरूमी की शरह में ख़तरनाक हद तक इज़ाफ़ा होरहा है। आलमी सतह पर 10 फ़ीसद से ज़ाइद अवाम किसी ना किसी तरह समाअत से महरूमी के शिकार हैं।