मुंबई, 2 अक्टूबर / (पी टी आई) हिंदूस्तानी साहिलों के क़रीब क़ज़्ज़ाक़ी के वाक़ियात में इज़ाफे़ को मल्हूज़ रखते हुए वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज इस ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि स्कियोरटी वजूहात की बिना बहरी सरगर्मी पर मुनासिब कंट्रोल यक़ीनी बनाया जाए। उन्हों ने कहा कि कोई भी सनअत हिफ़ाज़त और सलामती के माहौल में ही फ़रोग़ पा सकती ही। जहाज़ों के ख़िलाफ़ क़ज़्ज़ाक़ी और मुसल्लह डकैती के वाक़ियात हम तमाम और बिलख़सूस जहाज़रानी सनअत केलिए तशवीश का बाइस हैं। बहीरा अरब में और फिर बहर-ए-हिंद में क़ज़्ज़ाक़ी हमलों के हालिया वाक़ियात, जो ख़लीज-ए-अदन के क़ज़्ज़ाक़ी से मुतास्सिरा इलाक़ों से काफ़ी बईद पेश आई, हमारे लिए संगीन ख़तरा पेश करते हैं क्योंकि बड़ी तादाद में हिंदूस्तानी बहरी सय्याहों और जहाज़ों नीज़ हमारी बहरी रास्ते से होने वाली तिजारत जोखिम में पड़ते हैं। उन्हों ने कहा, हमारी बहरीया, कोस्ट गार्ड और शिपिंग कंपनीयां इस लानत से निमटने केलिए दीगर बैन-उल-अक़वामी एजैंसीयों के साथ क़रीबी इर्तिबात में ठोस सुई कर रहे हैं। वज़ीर-ए-आज़म यहां शिपिंग कारपोरेशन आफ़ इंडिया (एससी आई) की गोल्डन जुबली तक़ारीब की इख़ततामी तक़रीब से ख़िताब कर रहे थे। उन्हों ने अंदरून-ए-मुल्क आबी गुज़रगाहों में सरमाया कारीयों को फ़रोग़ देने की ज़रूरत ज़ाहिर करते हुए कहा कि अच्छा ट्रांसपोर्ट इनफ़रास्ट्रक्चर तरक़्क़ीयाती अमल को ज़्यादा वसीअ तर बनाने केलिए अहम है। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि इस काम की बिलख़सूस मलिक के दौर उफ़्तादा इलाक़ों जैसे शुमाल मशरिक़ में ज़रूरत है।