बहर-ए-हिंद में चीन के बैरून-ए-मुल्क अव्वलीन फ़ौजी अड्डा का क़ियाम

बीजिंग। 13 दिसमबर (पी टी आई) हिंदूस्तान के लिए बेचैनी पैदा करने वाला इक़दाम करते हुए चीन ने आज ऐलान किया कि वो अपना बैरून-ए-मुल्क अव्वलीन फ़ौजी अड्डा बहर-ए-हिंद के जज़ीरा सीचीलीस में क़ायम करेगा ताकि अपनी बहरीया की तंसीबात के लिए रसदऔर फ़ौजी सामान की सरबराही बा आसानी जारी रखी जा सके। चीन की वज़ारत-ए-दिफ़ा ने आज ऐलान किया कि इस का बहरी बेड़ा मुम्किन है कि सीचीलीस में या दीगर ममालिक में ज़रूरत के मुताबिक़ अपने हिफ़ाज़ती मुहिम्मात के दौरान रसद और फ़ौजी सामान की सरबराही की चीनी बहरी बेड़ा की जानिब से ख़ाहिश की जाए।

चीन पहले ही बहर-ए-हिंद में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की ताईद से बैन-उल-अक़वामी समुंद्र की गहराई अथॉरीटी के साथ मुआहिदा पर दस्तख़त करके बहर-ए-हिंद में अपने क़दम मज़बूती से जमा चुका है। इस कंट्टर एक्ट के तहत उसे कसीर धाती सलफ़ाईड की तलाश के हुक़ूक़ हासिल होचुके हैं जिस के ज़ख़ाइर समझा जाता है कि बहर-ए-हिंद की गहराई में हैं। ये कंट्टरएक्ट चीन को आइन्दा 15 साल केलिए हासिल होचुका है।

जारीया साल चीन को मुताल्लिक़ा ख़ुसूसी हुक़ूक़अता किए गए हैं जिन के तेहत वो बैन-उल-अक़वामी समुंद्र की गहराई में जुनूब मग़रिबीबहर-ए-हिंद के 10 हज़ार मुरब्बा कीलोमीटर रकबा के इज़ाफ़ा में इस कुच धात के ज़ख़ाइर तलाश करसकता है।सीचीलीस का फ़ौजी अड्डा नुमायां एहमीयत रखता है क्योंकि चीन अपना अव्वलीन तय्यारा बर्दार बहरी जंगी जहाज़ अनक़रीब बहरीया में शामिल करने वाला है।

फ़िलहाल ये जहाज़ आज़माईशों के मरहले से गुज़र रहा है। चीनी वज़ारत-ए-दिफ़ा ने अपने आज के ब्यान में इस इक़दाम की एहमीयत कम करने की कोशिश की।