बांग्लादेश: जमात के सिनीयर लीडर को मौत की सजा

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने मंगल को मज़हबी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के सीनीयर लीडर अब्दुल कादिर मुल्ला को 1971 के जंगी जराइम के लिए खुसूसी ट्रिब्यूनल की तरफ से दी गई उम्र कैद की सजा को पलटते हुए उसे मौत की सजा सुनाई।

चीफ जस्टीस एम मुजम्मिल हुसैन की सदारत में पांच रुक्नी बेंच ने कहा, उसे [अब्दुल] को मौत की सजा सुनाई जाती है। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई के दौरान इंसानियत के खिलाफ जुर्म के अब तक के पहले मुकदमे की आली अदालत ने जाय्ज़ा लिया है।

पिछले पांच फरवरी को International Criminal Tribunal 65 साला पार्टी जनरल सेक्रेटरी अब्दुल को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जमात का चौथा सीनीयर लीडर अब्दुल ऐसा पहला लीडर है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खाती ठहराया है और उसे सभी इल्ज़ामात से बरी किए जाने की अपील को ठुकरा दिया है।

Tribunals की ओर सुनाए गए फैसले जायज़ा करते हुए आली अदालत ने 4: 1 की अक्सरियत से जमात के लीडर को मौत की सजा सुनाई। अब्दुल को 13 जुलाई, 2010 को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल 28 मई को उस पर निहत्थे शहरियो पर हमला, कत्ल और आबरूरेज़ि समेत छह इल्ज़ाम लगाए गए थे।

वाजेह है कि 1971 में बांग्लादेश के जंग ए आज़ादी के दौरान बड़े पैमाने पर कत्ल ए आम हुए थे। इन जंग ए जराइम के मुकदमों में एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों पर गुनाह साबित हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर जमात के लीडर हैं। इन मामलों में अब तक चार लीडरों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

पिछले जनवरी में जंग ए जराइम के तहत पहली सजा सुनाई गई थी। इसके बाद बांग्लादेश में शुरू हुई सियासी तशद्दुद में 150 लोग मारे जा चुके हैं। मंगल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अदालत के अहाते की सेक्युरिटी कड़ी कर दी गई थी और तशद्दुद को रोकने के लिए शहरों में सैकड़ों पुलिसअहलकारों को तैनात किया गया। फैसला आने के बाद जमात के कारकुनो ने चटगांव में पुलिसअहलकारो पर हमला किया जिसमें दो पुलिस अहलकार ज़ख़्मी हो गए।