बाएं बाज़ू की इंतिहापसंदी से निमटने सियासी अज़म ज़रूरी: वृंदा करात

रांची 29 मई (पी टी आई) कम्युनिस्ट पार्टी आफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) ने आज कहा कि बाएं बाज़ू की इंतेहापसंदी से निमटने केलिए नक्सलियों को इस्तेमाल करने के बजाय जोकि बाअज़ सियासी पार्टीयां अपनी सहूलत के मुताबिक़ कर रही हैं, सियासी अज़म की ज़रूरत है।

पार्टी की कायद वृंदा करात ने कहा कि इंतेहापसंदी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए जहां भी सहूलत हो, नक्सलियों को इस्तेमाल करने के बजाय जैसा कि महा मोरचा में देखा गया। जिस में मग़रिबी बंगाल में साबिक़ बाएं बाज़ू महाज़ हुकूमत के ख़िलाफ़ जंग के लिए एक मोरचा क़ायम किया गया था। ताक़तवर सियासी अज़म ज़रूरी है।

वृंदा करात ने कांग्रेस क़ाइदीन पर छत्तीसगढ़ में हमले की मज़म्मत करते हुए कहा कि नक्सलवाद का मुक़ाबला करने के लिए इंतेज़ामी और सियासी सतह पर कोशिशें की जानी चाहिऐं।

बृंदा कर्त ने इन कबायलियों और दलितों के तहफ़्फ़ुज़ का मुतालिबा किया जो स्पैशल पुलिस के ओहदेदारों और नक्सलवाद की चक्की के दो पाटों के दरमियान पस रहे हैं। उन्हों ने डिप्टी कमिशनर के दफ़्तर के क़रीब सी पी आई ऐम के एहितजाजी मुज़ाहिरे की क़ियादत करने के बाद एक मंशूर मुतालिबात पेश किया।

बाएं बाज़ू की क़ाइद ने मर्कज़ में कांग्रेस ज़ेर-ए-क़ियादत यू पी ए हुकूमत पर तन्क़ीद करते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि ये हुकूमत ग़रीबों को एक रुपया किलो की शरह पर ग़िज़ाई अनाज‌ फ़राहम करने से क़ासिर रही है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में ग़िज़ाई अनाज‌ सड़ रहे हैं लेकिन झारखंड में ग़रीबों को ग़िज़ा दस्तयाब नहीं है।

इसके बरअक्स ग़िज़ाई तमानीयत बिल पेश किया जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ़ ग़रीब अवाम ग़िज़ा के सिलसिले में ख़ुद को ग़ैर महफ़ूज़ पारहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मुतालिबा करती है कि ग़रीबों को एक रुपया किलोग्राम की शरह से फीकस 35 किलोग्राम ग़िज़ाई अनाज‌ फ़ौरी फ़राहम की जाएं।