बाग़ी अरकान के ख़िलाफ़ कार्रवाई

स्पीकर असेबली एन मनोहर ने जगन मोहन रेड्डी की वफ़ादारी में हुक्मराँ कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले 16 अरकान असेंबली को नाअहल क़रार दे कर 3 माह से जारी सयासी तात्तुल को ख़त्म कर दिया। स्पीकर के इस इक़दाम को रियास्ती असेंबली की तारीख़ का मुनफ़रद फ़ैसला क़रार दिया जा रहा है।

बह यक वक़्त 16 अरकान असेंबली को नाअहल क़रार दिया जाए तो इससे असेंबली में अक्सरीयत को झटका पहूंचना है मगर किरण कुमार रेड्डी ज़ेर क़ियादत कांग्रेस हुकूमत को फ़िलहाल ऐसे किसी अक्सरीयती आज़माईश का सामना करना नहीं पड़ेगा। प्रजा राज्यम पार्टी के 17 अरकान असेंबली के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हुकूमत को ख़ातिरख़वाह अरकान की ताईद हासिल है।

रियास्ती असेंबली के 294 रुकनी ऐवान में 7 अरकान असेंबली ने पहले ही इस्तीफ़ा दिया था जिनमें तेलंगाना हामीयों के इलावा आंधरा के एक रुकन शामिल हैं जहां इस माह ज़िमनी इंतेख़ाबात होने वाले हैं। 7 अरकान के इस्तीफ़ा कुबूल करने के बाद ऐवान में अरकान की अकसीरीत 271 हो गई।

इस तरह हुक्मराँ कांग्रेस पार्टी की अक्सरीयत में 155 से घट कर 139 हो गई लेकिन उसे 271 रुकनी ऐवान में अपने बल पर अक्सरीयत हासिल है। इसके इलावा हुकूमत को दीगर पार्टीयों की भी ताईद मिल रही है। राज्य सभा के इंतेख़ाबात से क़ब्ल हुक्मराँ कांग्रेस ने किसी सयासी दबाव का शिकार होने से क़ब्ल बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की।

आइन्दा हफ़्ता राज्य सभा की 4 नशिस्तों की तारीख़ का ऐलान होगा। आइन्दा माह होने वाले। राज्य सभा इंतेख़ाबात कांग्रेस पार्टी के लिए अहम हैं। अगर बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाती तो ये बाग़ी अरकान कांग्रेस के राज्य सभा उम्मीदवार के ख़िलाफ़ खड़ा होने वाले उम्मीदवारों की हिमायत करते जिससे सयासी हलक़ों में बेचैनी पैदा होती।

स्पीकर असेंबली ने दस्तूर के दसवें शैडयूल की रो से सयासी इन्हिराफ़ के मकरूह चेहरों को क़वी तशवीश का मामला क़रार देते हुए बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की इनका ख़्याल है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इससे जमहूरीयत की बुनियादों को खोखला करने के लिए बाग़ीयों को मौक़ा मिलता ।

मगर स्पीकर ने बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एक साल का वक़्त ज़ाए किया। हुक्मराँ कांग्रेस को शुरू से ये उम्मीद थी कि वक़्त आने पर इस के बाग़ी अरकान वापस होंगे मगर जगन मोहन रेड्डी की हिमायत करने वाले अरकान ने अपने अह्द की पासदारी करते हुए ना अहलीयत का तमग़ा हासिल करने की तर्जीह दी। आइन्दा 6 माह में इन 17 असेंबली हलक़ों में ज़िमनी इंतेख़ाबात होंगे। इसमें दो राय नहीं कि आंधरा की सियासत में जगन मोहन रेड्डी को अपनी सयासी ताक़त का अंदाज़ा है।

अरकान असेंबली की नाहलीत और ज़िमनी इंतेख़ाबात के दरमयान का वक़्त अगर चीका सयासी एतबार से तवील होता है इस दरमयान हुक्मराँ तबक़ा के अंदर भी कई इंतिशारी कैफ़ीयत पैदा हो सकती है। 16 बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के बाद किरण कुमार रेड्डी हुकूमत में पहले से ही मौजूद नाराज़गियों को अगर हवा दी जाये तो मज़ीद कई अरकान जगन की सफ़ में शामिल होंगे और फिर रियासत में वाक़ई दस्तूरी-ओ-सयासी बोहरान पैदा हो सकता है।

वस्त मुद्दती इंतेख़ाबात की सूरत में कांग्रेस को भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। किरण कुमार रेड्डी हुकूमत को इस वक़्त अपने ही साया से ख़ौफ़ है। सदर प्रदेश कांग्रेस का मुख़ालिफ़ किरण कुमार रेड्डी मौक़िफ़ और नाराज़गियों की बढ़ती फ़हरिस्त के दरमयान किरण कुमार रेड्डी अपनी हुकूमत को कितने दिन तक मज़बूत रख सकते हैं ये आने वाले चंद दिन में मालूम होगा। बाग़ीयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई ना करके कांग्रेस पार्टी अपनी कमज़ोर साख को बचाने की कोशिश करती रही अब उसे ये फ़िक्र लाहक़ हो जाएगी कि मज़ीद अरकान के तीव्र बदल जाएं तो ज़िमनी इंतेख़ाबात या फिर वस्त मुद्दती इंतेख़ाबात का वो सामना किस तरह करेगी।

पहले से ही 7 मख़लवा नशिस्तों पर ज़िमनी इंतेख़ाबात इसके लिए कड़ी आज़माईश बन रहे हैं। अब मज़ीद 17 नशिस्तों पर ज़िमनी इंतेख़ाबात या फिर मज़ीद अरकान की बग़ावत की सूरत में रियासत आंधरा प्रदेश एक सयासी तूफ़ान का मंज़र पेश करेगी। गुज़श्ता एक साल से सयासी ज़िंदगी को ऑक्सिजन फ़राहम करने वाली किरण कुमार रेड्डी हुकूमत के लिए अब आरिज़ी निज़ाम तनफ़्फ़ुस पर कितने दिन तक इकतिफ़ा करने पड़ेगा ये सयासी हालात पर मुनहसिर होगा।

कांग्रेस क़ाइदीन इंतेख़ाबात से ख़ाइफ़ दिखाई देते हैं क्योंकि इस मर्तबा इनका सयासी वज़न कई हिस्सों में बट चुका है। जब कभी कांग्रेस ने अपना सयासी वज़न बढ़ाने की कोशिश की है ख़ुद इसके अरकान ने दूध में कोई ना कोई मंगनी डाली है। अब 17 बाग़ीयों ने कांग्रेस को होश के नाखून लेने पर मजबूर कर दिया।

आंधरा प्रदेश के सयासी हलक़े अपने लिए इंतेख़ाबात की दुकान मेहनत से सजाये हैं मगर इस पर अगर बाग़ी डाका डालें तो बदक़िस्मती से ये डाका असल पार्टी के इलावा रियासत की इक़तिसादी सूरत-ए-हाल के ले भी महंगा पड़ता है। बाग़ियाना सरगर्मीयां किसी भी पार्टी के लिए मुनासिब नहीं होतीं मगर कांग्रेस ने बग़ावत के अस्बाब पैदा करनेवाली हरकतों से गुरेज़ नहीं किया जिस तरह इंतेख़ाबात में ताक़तवर उम्मीदवार के इम्कानात ज़्यादा होते हैं इसी तरह हुक्मराँ पार्टी को चाहीए था कि वो कांग्रेस उम्मीदवारों को बे लगाम ना छोड़े।