झाविमो से भाजपा में शामिल हुए छह एमएलए को वज़ीर या दीगर कानूनी ओहदे नहीं दिए जाने को लेकर दायर अवामी मुफाद दरख्वास्त वापस ले ली गई है। महाधिवक्ता की दलील के बाद हाइकोर्ट ने इसे अवामी मुफाद दरख्वास्त नहीं माना। दरख्वास्त दीवान इंद्रनील सिंह ने दायर की थी।
इसमें कहा गया था कि झाविमो के छह एमएलए नवीन जायसवाल, रंधीर सिंह, अमित बाउरी, जानकी यादव आलोक चौरसिया और गणेश गंझू अपने मुफाद के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं। यह वोटरों के साथ धोखा भी है। दरख्वास्तगुज़ार ने इसे हॉर्स ट्रेडिंग बताया और कहा कि इससे सियासत से जोड़-तोड़ को बढ़ावा मिलेगा।
दरख्वास्त में कहा गया है कि इन एमएलए का मामला अभी स्पीकर के पास जेरे गौर है और स्पीकर इसे लटका रहे हैं। अदालत से जब तक स्पीकर का फैसला नहीं आ जाता, तब तक इन्हें किसी भी कानूनी ओहदे पर तकर्रुरी नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही स्पीकर को जल्द फैसला सुनाने की हिदायत दिया जाना चाहिए।
मंगल को हुकूमत का हक़ रखते हुए वकील ने अदालत को बताया कि यह अवामी मुफाद दरख्वास्त नहीं हो सकती। इस मामले से दरख्वास्तगुज़ार का क्या रिश्ता है, इसे वाजेह करना चाहिए। दरख्वास्तगुज़ार अगर किसी सियासी दल का मेम्बर है, तो यह मामला अवामी मुफाद का नहीं बल्कि सियासत का है।
अदालत ने भी वकील की बात को सही माना और कहा कि इस मामले में अगर कोई मुतासीर है तो उसे अदालत आना होगा। इसे अवामी मुफाद दरख्वास्त नहीं माना जा सकता। दरख्वास्तगुज़ार को इसमें क्या इन्टरेस्ट है उसे वाजेह करना होगा। इसके बाद दरख्वास्त गुज़ार ने दरख्वास्त वापस लेने की अर्जी की तो अदालत ने वापस लेने की इजाजत देते हुए मामला मुस्तर्द कर दिया।