हैदराबाद 07 दिसंबर: बाबरी मस्जिद की शहादत की 23 वीं बरसी पर दोनों शहरों में योम-ए-सियाह और बंद का एहतेमाम किया गया। दोनों शहरों में बंद मुकम्मिल और पुरअमन रहा और कोई नाख़ुशगवार वाक़िया पेश नहीं आया। बंद के मौके पर अवाम और ताजिरों ने रज़ाकाराना तौर पर अपनी दुकानात और कारोबारी इदारों को बंद रखा। शहर में सड़कों पर ट्रैफ़िक भी मामूली रही। बेशतर मुक़ामात पर सड़कें सुनसान नज़र आ रही थीं और अवाम ने घरों में रहने को ही तर्जीह दी।
जहां रज़ाकाराना तौर पर दुकानात और तिजारती इदारे बंद रखे गए वहीं बाबरी मस्जिद की बाज़याबी के लिए ख़ुसूसी दुआओं का भी एहतेमाम किया गया। हैदराबाद सिटी पुलिस ने इस मौके पर सिक्योरिटी के सख़्त तरीन इंतेज़ामात किए थे और बाबरी मस्जिद की बाज़याबी के लिए एहतेजाज करने वाले दरसगाह जिहाद-ओ-शहादत के कारकुनों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। बाबरी मस्जिद की शहादत जो 06 दिसंबर 1992 में हुई थी उस दिन को योम-ए- सियाह के तौर पर मनाया जाता है।
पुलिस ने एहतियाती तौर पर 6 और 7 दिसंबर के लिए दोनों शहरों में इमतिनाई अहकामात दफ़ा 144 को नाफ़िज़ कर दिया था।योम-ए- सियाह मुकम्मिल तौर पर पुरअमन रहा।
मौलाना मुहम्मद नसीरुद्दीन ने इंदिरा पार्क धरना चौक के क़रीब एहतेजाज मुनज़्ज़म किया और मस्जिद उजाले शाह सईदाबाद में बाबरी मस्जिद की बाज़याबी के लिए ख़ुसूसी प्रोग्राम का इनइक़ाद किया गया और बादअज़ां दुआएं की गईं।
इंदिरा पार्क पर बाबरी मस्जिद की बाज़याबी के लिए कुल जमाती एहतेजाजी धरना मुनज़्ज़म किया गया और मुक़र्ररीन ने मर्कज़ी हुकूमत से मुतालिबा किया कि बाबरी मस्जिद को इस के असल मुक़ाम पर दुबारा तामीर करे।