बाबरी मस्जिद की शहादत भारत के लोकतंत्र पर कलंक: मुफ्ती महफूजुर रहमान

नई दिल्ली। ” बाबरी मस्जिद की शहादत की कसक आज भी मुसलमान अपने दिल में महसूस कर रहे हैं. उस मनहूस तारीख को वह न कभी भूले हैं और न कभी भूलेंगे. मुसलमानों की निगाहें आज भी न्यायपालिका पर टिकी हैं कि उन्हें न्याय और उन अपराधियों को कब सजा मिलेगी जो खुलेआम घूम रहे है। ” इन विचारों का इज़हार मशहूर आलिमे दीन और प्रख्यात मिल्ली नेता मुफ्ती मह्फूजुर रहमान उस्मानी (संस्थापक जामिया क़ासिम दारुल इस्लामिया सुपौल बिहार) ने किया.

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार उन्होंने भारत की शान बाबरी मस्जिद की शहादत की 24वीं बरसी पर सभी नागरिकों से शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने की अपील करते हुए कहा कि 6 / दिसंबर 1992 को हिंदू उग्रवादियों द्वारा बाबरी मस्जिद की शहादत भारत के लोकतंत्र पर कलंक है।

मुफ्ती उस्मानी ने कहा कि 24 सालों बाद भी कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सका जबकि शहादत बाबरी मस्जिद के बाद फूट पड़े फसाद में हजारों मुसलमान मारे गए, लिब्रहान आयोग भी अपनी रिपोर्ट पेश कर चुका है परंतु सरकार ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं लिया। आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय जनता पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस बीच उत्तर प्रदेश और केंद्र में कई सरकारें आईं और गईं मगर यह महत्वपूर्ण समस्या ज्यों का त्यों बरकरार है।

मुफ्ती उस्मानी ने कहा कि भारत की जो फासीवादी ताकतें हैं वे आज भी मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने का वादा करती हैं इस तरह से वह देश को एक बार फिर आग में झोंकने का काम करना चाहती हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।

मुफ्ती उस्मानी ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए सरकार और अधिकारियों द्वारा बरती जा रही पक्षपात बहुत खतरनाक है। अधिकार को दबाना और न्याय का उल्लंघन किसी भी देश के बेहतर भविष्य और विकास में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने ने कहा कि पीड़ितों को न्याय और अपराधियों को सज़ा उस समय ही दिया जाना चाहए था. इनसाफ में देरी से अपराधियों के होसले बुलंद होते हैं। उन्होंने कहा कि हर नागरिक के जान-माल और इज़्ज़त व आबरू की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी होती है लेकिन दुर्भाग्य से वतन में इस गंभीर मामले में भी भेदभाव किया जाता है। हाल में हुए कई निर्णय इसका जीता जागता सबूत हैं।