बाबरी मस्जिद केस: मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का इंटिगरल पार्ट है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज फैसला!

अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दोपहर बाद 2 बजे से सुनवाई शुरू होगी। सुनवाई में कोर्ट इस पर फैसला करेगा कि मामला 3 सदस्यीय बेंच के पास रखा जाए या उससे बड़ी बेंच के पास भेजा जाए।

साथ ही उसको हाईकोर्ट के इस फैसले पर भी निर्णय लेना है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंटिगरल पार्ट नहीं है।

इससे पहले अयोध्या मामले में 14 मार्च को दिए अपने अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे पक्षों की सभी 32 हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज कर दीं और इसके लिए अगली सुनवाई की तारीख 23 मार्च को तय की।

रामजन्मभूमि बाबरी भूमि विवाद पर सुनवाई में देरी हो सकती है, क्योंकि टाइटल सूट से पहले सुप्रीम कोर्ट अब पहले इस पहलू पर फैसला करेगा कि अयोध्या मामले की सुनवाई 3 जजों के संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं।

कोर्ट पहले यह देखेगा कि क्या संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंटिगरल पार्ट नहीं है। इसके बाद ही टाइटल सूट पर विचार किया जाएगा।

1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था ताकि हिंदू पूजा कर सकें। पीठ ने यह भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंटिगरल पार्ट नहीं है।

इसके बाद 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन का एक तिहाई हिस्सा हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था। हाईकोर्ट ने संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर भरोसा जताया और हिंदुओं के अधिकार को मान्यता दी।

मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश राजीव धवन ने कोर्ट से संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि उस आदेश ने मुस्लिमों के बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ने के अधिकार को छीन लिया है।

इसलिए पहले संविधान पीठ के उस फैसले पर विचार होना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वो अगली सुनवाई के दिन 23 मार्च को इस मुद्दे पर अपने कानूनी पहलुओं को रखें।