बाबरी मस्जिद – राम जन्मभूमि रिपोर्टस बरसर-ए-आम पेश की जाए

मर्कज़ी इत्तेलाआत कमीशन ने आज महकमा आसारे-ए-क़दीमा (आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया) को हिदायत दी कि बाबरी मस्जिद । राम जन्मभूमि अराज़ी वाक़्य अयोध्या के बारे में तफ्सीली रिपोर्ट का बरसर-ए-आम इन्किशाफ़ किया जाए।

ताहम चीफ़ इन्फ़ार्मेशन कमिशनर सत्यानंद मिश्रा ने कहा कि इस मामला में इन्किशाफ़ पर हाइकोर्ट की जानिब से अपने एक हुक्मनामा के ज़रीया इमतिना आइद किया गया है, जिसकी एक नक़ल में हिदायत दी गई है कि इसकी तफ़सीलात सिर्फ़ कारकुन सुभाष अग्रवाल को ही फ़राहम की जाए।

आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया समझा जाता है कि मुतनाज़ा मुक़ाम का इलाहाबाद हाइकोर्ट की हिदायत पर सर्वे कर चुका है, जो इस मामला की समाअत कर रही थी। हालाँकि हक़ इत्तेलाआत क़ानून के तहत अग्रवाल ने दरख़ास्त पेश करते हुए आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया को दाख़िल कर्दा रिपोर्ट की नक़ल तलब की है।

आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया ने ये दस्तावेज़ फ़राहम करने से इनकार करते हुए कहा था कि ये रिपोर्ट सिर्फ़ हाइकोर्ट के लिए मुख़तस है। जब ये मामला शफ़्फ़ाफ़ियत कमेटी के इजलास पर पेश किया गया तो आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया ने अपने मौक़िफ़ का इआदा किया।

अग्रवाल ने बहस करते हुए कहा कि अगर हाइकोर्ट ने रिपोर्ट के इन्किशाफ़ से मना किया है तो इसके इस हुक्मनामा की नक़ल उसे फ़राहम की जाए। मिश्रा ने कहा कि हम समझते हैं कि ये एक इंतिहाई मुंसिफ़ाना दरख़ास्त है और सी बी आई को चाहीए कि मुताल्लिक़ा इक़तिबास हाइकोर्ट के हुक्मनामा से दरख़ास्त गुज़ार को फ़राहम किया जाना चाहीए, जिसमें आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया को हाइकोर्ट की जानिब से हिदायत दी गई है कि रिपोर्ट सिर्फ़ हाइकोर्ट को पेश की जाए और इसका इन्किशाफ़ किसी और के सामने ना किया जाए। ऐसी सूरत में हाइकोर्ट की जानिब से कोई फ़ौरी हिदायात जारी नहीं की गई हैं।