सदर अस्पताल में भर्ती हमल ख़वातीन को पीर की रात बायतुल खुला में ही तरसिल हो गया। तरसिल के बाद बच्चा कमोड में गिर गया और खातून बेहोश हो गयी। संगीन हालत में खातून को बायतुल खुला से बाहर निकाला गया। इलाज के दौरान रात दो बजे उसकी मौत हो गयी। तकरीबन पांच घंटे बाद कमोड तोड़कर बच्चे का लाश भी बाहर निकाला गया।
बायतुल खुला में खातून के तरसिल की इस वाकिया पर अस्पताल इंतेजामिया का कहना है कि खातून ब्रेन मलेरिया से मुतासीर थी। उसका बच्चा पेट में ही मर चुका था। अस्पताल इंतेजामिया ने मामले में खानदान की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिलने की बात कहकर चुप्पी साध ली है।
टोंटो ब्लॉक के बड़ाकुचिया के रहने वाली किरण दास को ब्रेन मलेरिया और हीमोग्लोबिन बहुत कम होने के शिकायत के बाद टोंटो पीएचसी से सदर अस्पताल रेफर किया गया था। पीर के दोपहर उसका इलाज शुरू हुआ। उसे खून चढ़ाया गया था। रात में किरण को खातून वार्ड के बाथरूम तक उसका शौहर विनोद दास लेकर गया। उस वक्त वार्ड में जेमा कुई डयूटी पर थीं।
अस्पताल इंतेजामिया इस बात पर भी चुप है कि खातून मरीज को बायतुल खुला खातून अटेंडेंट क्यों नहीं लेकर गयी? जब डॉक्टरों को उसकी हालात के बारे में पूरी जानकारी थी तो उसकी देखभाल में लापरवाही क्यों बरती गयी? पूरे मामले में अस्पताल इंतेजामिया की चुप्पी के दरमियान सिविल सजर्न ने मामले की जांच कराने की बात कही है।