बालूघाट पंचायतों को सौंपने का फैसला

बालू नीलामी को लेकर बुध शाम हुकूमत के इत्तिहादी पार्टियों के दरमियान बैठक हुई। बैठक में बालूघाट पंचायतों को सौंपने का फैसला लिया गया। इस बैठक में तमाम इत्तिहादी पार्टियों ने हिस्सा लिया। बैठक वज़ीरे आला हेमंत सोरने की सदारत में की गयी। बैठक खत्म होने के बाद वज़ीरे आला हेमंत सोरने ने कहा, हमने यह फैसला लिया है कि बालू पर पंचायतों का हक होगा। हालांकि इस पर अभी तौसीह बहस होगी।

जिन घाटों की नीलामी की गयी है क्या उनकी नीलामी मंसूख की जायेगी, इस सवाल पर वज़ीरे आला ने कहा कि अबतक इस पर पूरी तरह से बहस नहीं हुई है, हम कानूनी हक़ पर तौसिह से फैसला लेंगे। आगे किस तरह पंचायतों को यह हक़ देना है और सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के मुताबिक किस तरह पंचायतें काम करेगी इस पर फैसला लेना अभी बाकि है। बैठक के बाद वज़ीर ददई दुबे ने कहा कि बैठक में बालू घाटों को पंचायतों को सौंपने का फैसला लिया गया है। यह हक़ पंचायतों को ही मिलना चाहिये। बालूघाट की नीलामी मंसूख की जायेगी अबतक बालूघाट की नीलामी हुई है उन्हें हक़ नहीं दिया गया। गौरतलब है कि हुकूमत के इत्तिहादी पार्टी इस मामले में हुकूमत से दो-दो हाथ करने की तैयारी में दिख रहे थे।

बुध सुबह वज़ीरे आला हेमंत सोरेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि तमाम को अपनी बात कहने का हक है। शाम को इत्तिहादी पार्टियों के साथ बैठक होगी और उसके बाद हम अपने साथियों से बात करके मसलों को सुलझा लेंगे। लेकिन जब राजद एसेम्बली रुक्न अन्नपूर्णा देवी से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि बालू घाटों की नीलामी मंसूख होने के बाद ही कोई बातचीत होगी, उसके पहले कोई बातचीत नहीं होगी। हालांकि कांग्रेस की तरफ से ददई दुबे ने कहा कि इस मसले का हल बातचीत से मुमकिन है।

बालू घाटों की नीलामी को लेकर हुकूमत के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हुकूमत के फैसले से इत्तिहादी पार्टी राजद और कांग्रेस दोनों के मंत्री नाराज हैं। दोनों दलों ने हुकूमत पर फैसला बदलने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस कोटे से वज़ीर चंद्रशेखर दुबे ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर हुकूमत अपना फैसला नहीं बदलती, तो वह हुकूमत गिरा देंगे। कांग्रेस कोटे के दो दीगर वज़ीर गीताश्री उरांव और योगेंद्र साव ने भी हुकूमत के फैसले के खिलाफ नाराजगी जतायी है। बालू घाटों की नीलामी मंसूख करने का अल्टीमेटम दिया है।